पारस से भी बढ़कर है पानी, जल संरक्षण के लिए सरकार चलाएगी 100 दिनों का अभियान

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अंकित सिंह । Mar 1 2021 12:02PM

समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देशवासियों से जल संरक्षण करने की अपील करते रहते हैं। एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।

अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार लगातार जल संरक्षण को ध्यान में रखकर काम कर रही है। यही कारण है कि दूसरे कार्यकाल में जल संबंधी सभी मंत्रालयों को एक कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया और उसकी जिम्मेदारी गजेंद्र सिंह शेखावत को दी गई। जल ही जीवन है, यह तो हम सब शुरू से पढ़ते रहे हैं लेकिन जल की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। यही कारण है कि भारत सरकार अब जल संरक्षण को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है। समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देशवासियों से जल संरक्षण करने की अपील करते रहते हैं। एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार इस साल ‘‘विश्व जल दिवस’’ से 100 दिनों का अभियान भी शुरू करेगी। मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है और नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है इसलिए इसका विस्तार देश में और ज्यादा मिलता है। उन्होंने कहा, “भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।” पानी को पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन और विकास के लिये जरुरी है। उन्होंने कहा, ‘‘पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए।’’ 

आगामी 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण सिफ सरकार की नहीं बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे देश के नागरिकों को समझना होगा। उन्होंने अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये और वर्षा जल के संचयन के लिये देशवासियों से 100 दिन का कोई अभियान शुरू कने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान- ‘कैच द् रैन’ भी शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का मूल मन्त्र है पानी जब भी और जहां भी गिरे उसे बचाएं।’’ उन्होंने कहा, “हम अभी से जुटेंगे और पहले से तैयार जल संचयन के तंत्र को दुरुस्त करवा लेंगे तथा गांवों में, तालाबों में, पोखरों की सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे पानी के रास्ते की रुकावटें दूर कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे।” प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी और कहा कि आज भी उनके ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरूर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए।

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प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद जाहिर सी बात है कि सरकार एक बार फिर से जल संरक्षण को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाएगी। प्रधानमंत्री ने भी खुद कहा कि 100 दिनों का अभियान अब जल संरक्षण के लिए शुरू किया जाएगा। कुछ राज्यों में जल संरक्षण को लेकर कई तरह के पहल की शुरुआत की जा चुकी है। प्रधानमंत्री की इस अपील का असर बरसात के दिनों में भी देखने को मिलेगा जब सरकार के साथ-साथ आम लोग और कई संगठन में जल संरक्षण को लेकर आगे बढ़ेंगे। आज के ग्लोबल वार्मिंग के इस कठिन दौर में जल संरक्षण सबसे ज्यादा जरूरी है। जल संरक्षण स्वच्छता अभियान के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अपशिष्ट जल का रिसाइकल करना। साथ ही साथ बरसात के पानी को इकट्ठा करना ताकि जरूरत के समय उनका उपयोग किया जा सके। 

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