By एकता | Sep 28, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें संस्करण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निस्वार्थ सेवा और अनुशासन की भावना की खुलकर प्रशंसा की। यह संबोधन विजयादशमी पर आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने से कुछ दिन पहले आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस की असली ताकत उसकी त्याग, सेवा और अनुशासन की भावना है, और इसके स्वयंसेवकों के हर काम में 'राष्ट्र प्रथम' की भावना सर्वोपरि रहती है।
प्रधानमंत्री मोदी, जो स्वयं आरएसएस के प्रचारक रहे हैं, ने कहा कि केशव बलिराम हेडगेवार ने देश को बौद्धिक गुलामी से मुक्त कराने के उद्देश्य से 1925 में विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि तब से आरएसएस की यात्रा प्रेरणादायक, उल्लेखनीय और अभूतपूर्व रही है।
मोदी ने हेडगेवार के उत्तराधिकारी एम.एस. गोलवलकर की भी प्रशंसा की। उन्होंने गोलवलकर के कथन 'यह मेरा नहीं है, यह राष्ट्र का है' का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संदेश ने लाखों स्वयंसेवकों को स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आने पर आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंचते हैं।
पीएम स्वदेशी और 'वोकल फॉर लोकल' पर जोर दिया
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और 'वोकल फॉर लोकल' को खरीदारी का मंत्र बनाने पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर खादी का कोई उत्पाद खरीदने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, 'ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे।' उन्होंने समझाया कि जब हम ऐसा करते हैं, तो हम किसी परिवार की उम्मीदों को जगाते हैं, कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, और युवा उद्यमी के सपनों को पंख देते हैं।