By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 15, 2019
नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले पर पड़ोसी देश पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे हमलों से वह भारत को अस्थिर नहीं कर पायेगा और आतंकी संगठन एवं उनके सरपरस्तों को इस अपराध की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। देर शाम दिल्ली के पालम एअरपोर्ट पर शहीदों के पार्थिव शरीर वायुसेना के विशेष विमान से लाये गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहाँ पहुँच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेनाध्यक्ष बिपिन रावत, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद शहीदों के पार्थिव शरीर उनके घर के लिए रवाना कर दिये गये। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर पहुँच कर शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद एक शहीद जवान को कंधा भी दिया।
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दूसरी ओर इस घटना के विरोध में देशभर में लोगों के मन में आक्रोश देखने को मिल रहा है। दिल्ली में इंडिया गेट पर बड़ी संख्या में लोग उमड़े और सरकार से माँग की कि इस बार पाकिस्तान के साथ आर पार की लड़ाई होनी चाहिए और हमारे 40 जवानों की हत्या के बदले पाकिस्तान के 400 लोग मारे जाने चाहिए। वहीं जम्मू से मिली खबरों के अनुसार पुलवामा हमले पर व्यापक प्रदर्शनों के बाद एहतियाती कदम के तौर पर कर्फ्यू लगा दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि सेना ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में प्रशासन की मदद करने का अनुरोध किया और फ्लैग मार्च किया। अधिकारियों ने बताया कि साम्प्रदायिक हिंसा की आशंक के चलते कर्फ्यू लगाया गया है। इसके अलावा देशभर के विभिन्न शहरों से पाकिस्तान विरोधी नारेबाजी और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने की खबरें मिल रही हैं।
भारत ने इस मामले पर शुक्रवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया और पुलवामा आतंकी हमले पर कड़ा विरोध जताते हुये सख्त आपत्तिपत्र जारी किया। पाकिस्तान से आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के खिलाफ तत्काल एवं प्रमाणिक कार्रवाई करने को भी कहा गया। इसके अलावा विभिन्न देशों के राजनयिक आज विदेश मंत्रालय पहुँचे और पुलवामा की घटना को लेकर भारत के प्रति अपना समर्थन जताया।
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दूसरी ओर, जो 40 जवान शहीद हुए हैं वह 15 विभिन्न राज्यों से हैं और उनके घरों में मातम का माहौल है। शहीदों के परिवारों का कहना है कि “हमारे बेटे ने वीरगति को प्राप्त की। उम्मीद है कि सरकार अब परिवार के देखभाल करेगी।’’ कोई शहीद अपने पीछे अविवाहित बेटियों को छोड़ गया है तो कोई अपने अबोध बच्चों को तो कोई अपनी गर्भवती पत्नी को तो कोई अपने बूढ़े माता-पिता को। परिवारों का रो रोकर बुरा हाल है और ऐसे में नेताओं का इन परिवारों के घर पहुँच कर ढाढस बंधाने का क्रम जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों और मंत्रियों को भी निर्देश दिये हैं कि वह अपने अपने राज्यों में शहीदों के अंत्येष्टि कार्यक्रम में जरूर शामिल हों।