बेटियां (कविता)

By वीना आडवानी तन्वी | Sep 27, 2021

किस्मत मे बेटी नहीं

पर बेटी के जानूं भाव

मैं भी तो एक बेटी हूं

मात-पिता के समझूं 

हर एक घाव।।


कैसे कलेजे से लगा बड़ा किये

कैसे विवाह किये करे विदाई

सोचा सुखी हो गये हम पर

दर्द की लहर बिटिया थी पाई।।


मां बस बेटी को मायके और 

ससुराल के इज्जत की दी दुहाई

खामोश रही बेटी नकाब लगा 

सब सहती हुई बस मुस्कुराई।।


बस बेटी के बलिदान की खबर 

एक दिन चित्तकार लिये आई

बेटी के ससुराल से ही बेटी की

अर्थी पर हुई विदाई।।


बेटी देखो कितनी प्यारी 

अब कहो मायके की लाज बचाई।।


- वीना आडवानी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र

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