हम सबको हर रंग मुबारक (कविता)

By प्रतिभा तिवारी | Mar 20, 2019

होली प्रेम, आपसी सद्भाव और मस्ती के रंगों में सराबोर हो जाने का अनूठा त्योहार है। कवियत्री ने 'हम सबको हर रंग मुबारक' कविता में बताया है कि अच्छाई को विजय प्राप्त हुई है और बुराई हार गई है। होली का त्योहार आपसी मनमुटाव मिटा कर मिलजुलकर मनाने वाला त्योहार है।

 

विजय मिली है अच्छाई को

देकर मात बुराई को

हम सबको हर रंग मुबारक

लेकर आई होली है

चारों तरफ है छाई बाहर

हर रंग में रंगा है

होली का त्योहार

रंग गुलाल, बने पकवान

सबने बोली एक ही बोली

फिर से खुशियां लेकर आई

हम सबके अरमानों की होली

बच्चे, बूढ़े और जवान

कर रहे देखो हंसी ठिठोली

बचपन की नासमझी,नादानी

हमने खूब बहाया पानी

अब कीमत समझ है आई

पानी जीवन की परछाई

जल ही जीवन इसे बचाओ

लोग कर रहे है हर तरफ दुहाई

जश्न और पकवानों की

हम सबने की तैयारी है

रंग बदलते मौसम में भी

रंगो की ही खुमारी है

किसी का दिल ना दुखाए

मिलकर गले, है प्यार बढ़ाए

प्यार का सभी रंग जो देती

ऐसी ये पिचकारी है

गिले,शिकवे दहन करे हम

सभी मनाएं मिलकर होली

हम सबकी ज़िमेदारी है

जले होलिका द्वेष जले है

सदियों से ये परिवेश चले है

परम्परा और सद्भाव से

रंगो का ये फूल खिले हैं

गुझिया, ठंडाई, और मिठाई

कहीं भाग की गोली है

आओ मिलकर झूमे नाचे

रंग बिरंगी होली है

 

- प्रतिभा तिवारी

 

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