By संतोष उत्सुक | Jul 14, 2025
सम्मान समारोह एक बजे रखा गया था लेकिन साथ में कवि सम्मेलन भी होना था। आजकल काफी लोग कवि होते जा रहे हैं इसलिए बढ़िया साहित्यिक आयोजन हो जाता है। आयोजन में काफी कवि आ गए थे इसलिए कवि सम्मेलन दस बजे शुरू हो गया था। पांच नए कवि अपनी कविताएं सुना चुके थे तो एक युवा कवयित्री से आग्रह किया गया, अब आप कविता प्रस्तुत करें। उन्होंने कविता सुनाने से पहले ही आवेदन कर डाला, कविता में अगर कोई गलती हो तो माफ़ करें, कुछ शेर भी सुनाती हूं। इसमें से एक शेर सरकारी बस में, वहां से यहां आते आते बन गया ।
एक कहानीकार उपन्यासकार को कविता सुनाने के लिए कहा तो माइक पर आकर कहने लगे, कविताओं की डायरी लाना भूल गए। फिर जैसे कैसे करके उन्होंने फ़ोटोज़ और रीलों से भरे फोन से कविता नाम की चीज़ निकाल कर पेश कर दी। दरअसल, उन्हें सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने राज़ खोल ही दिया, अगर पहले बताया गया होता कि कविता भी पढ़नी पढ़ेगी तो वे डायरी ज़रूर लाते।
तालियां बजाने में सब कंजूस हैं। कार्यक्रम संचालक कहता रहता है, तालियों से इनका स्वागत करें लेकिन बिना ताली करते हैं। डॉक्टर जब समझाता है सेहत के लिए अच्छी हैं, तब जोर जोर से बजाना शुरू कर देते हैं। कभी कभी संचालक कहता है कृपया अपने लिए ही बजा लीजिए तालियां, फिर बजा भी लेते हैं। वैसे तालियां बजवाना सीखना हो तो महारानी राजनीति से सीखना चाहिए। एक और कवि आए, उन्होंने भेद खोला कि संदर्भित कविता एक बार लिखने के बाद, ढंग से एक बार भी पढ़ नहीं पाया, अधपकी सी कविता है, मुझे कहा गया है इसलिए पढ़नी है। पसंद न आए तो माफ़ कर दें।
बिखरी जुल्फों वाले कवि आए, बोले एक कविता सुनाने की कोशिश करता हूं, शायद मैं दो कविताएं भी सुना दूं। फिर लगभग आठ दशकीय कवि आए, उन्होंने पतले दुबले गले की गहराइयों से गाकर सुनाते हुए प्रेरित किया कि गाना आए या न आए गाना ही चाहिए। तरन्नुम में रचना सुनाने से प्रभाव और रूतबा बढ़ता है।
सरकारी संस्कृति विभाग से मदद लेने के लिए, सम्मान समारोह में कवि सम्मेलन भी आयोजित करना हो तो सुबह दस बजे से कवियों का निबटाना शुरू कर देना चाहिए। कवियों को फेसबुक से मंच पर उतारने का यह स्वर्णिम अवसर भी रहता है। तभी एक घोषणा हुई, मैं कवि नहीं हूं, पहली बार किसी मंच से पढ़ रहा हूं, मैं तो टेक्निकल ऑफिसर हूं, उस डिपार्टमेंट में सहायक कमीश्नर हूं। उन्होंने अपने क्षेत्र की भाषा में लिखी काव्य रचना, क्षेत्रीय, हिंदी और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओँ में प्रस्तुत की। मौका देने के लिए कार्यक्रम आयोजक का धन्यवाद भी किया जो ज़रूरी भी था। एक कवि और आए उन्होंने स्वीकार किया उन्हें समय नहीं मिल पाया, यहीं बैठे बैठे चार लाइनें लिखी और आपको सुना रहा हूं।
कार्यक्रम की अध्यक्ष उन्हें ही बनाया गया था जिन्हें अध्यक्ष बनना बहुत पसंद है। उन्होंने अपने वक्तव्य के साथ साथ तीन छोटी छोटी, एक मध्यम आकार की और एक बहुत पुरानी, अपनी बेहद प्रिय मगर लम्बी कविता सुनाई। तीन घंटे तक कविताएं सुनवाने वाला कवि सम्मेलन, बहुत दिनों बाद शहर में आयोजित हुआ। इसके लिए सभी नए कवि, आयोजक संस्था के धन्यवादी रहे। अभी सम्मान समारोह होना बाक़ी था।
- संतोष उत्सुक