By अंकित सिंह | Sep 24, 2024
बिहार में सियासत जबरदस्त तरीके से जारी है। हालांकि यह सियासत जदयू के भीतर की ही है। दरअसल, नीतीश कुमार के करीबी और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के एक कविता पर बवाल मचा हुआ है। अशोक चौधरी ने अपनी कविता में बढ़ती उम्र का जिक्र किया है। अब इसी को लेकर माना जा रहा है कि उन्होंने इशारों इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। हालांकि, अशोक चौधरी इस से साफ तौर पर इंकार कर रहे हैं।
अशोक चौधरी नीतीश कुमार को अपना मानस पिता बता रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं नीतीश कुमार पर क्यों निशाना साधूंगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस कविता के जरिए अशोक चौधरी क्या संदेश और संकेत देने की कोशिश कर रहे थे? सवाल यह भी है कि अशोक चौधरी को यह कविता सोशल मीडिया पर साझा क्यों करनी पड़ी? हालांकि मामला इतना बढ़ गया कि मुख्यमंत्री आवास से अशोक चौधरी को बुलवा तक आ गया। नीतीश कुमार के साथ अशोक चौधरी की लगभग डेढ़ घंटे तक मुलाकात हुई।
इस मुलाकात के बाद अशोक चौधरी के तेवर नरम दिखे। अशोक चौधरी ने मुलाकात के बाद साफ तौर पर कहा के नीतीश कुमार उनके मानस पिता है। हालांकि अशोक चौधरी के इस कविता को लेकर सबसे पहले जदयू ही अशोक चौधरी पर हमलावर हो गई थी। जदयू के एमएलसी नीरज कुमार ने साफ तौर पर कहा के नीतीश कुमार पर कोई सवाल खड़े नहीं कर सकता है। आज नीतीश कुमार की वजह से जनता दल यूनाइटेड की पहचान है। नीतीश कुमार सर्वमान्य नेता है। जो भी नीतीश कुमार पर निशाना साधेगा, उसे जवाब मिलेगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अशोक चौधरी नाराज हैं। ऐसा मुझे मालूम नहीं। लेकिन एक नीतीश कुमार सभी पर भारी है।
आपको बता दे कि यह वही अशोक चौधरी है जिन्होंने पिछले दिनों भूमिहारों पर बयान देकर एक नया मुद्दा दे दिया था। हालांकि, दिनों में देखें तो अशोक चौधरी नीतीश कुमार के साथ काफी रहते हैं। वह उनके कार्यक्रमों में भी जाते हैं। नीतीश कुमार के काफी भरोसेमंद भी माने जाते हैं। अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी समस्तीपुर से चिराग पासवान की पार्टी से सांसद हैं। अशोक चौधरी की नजदीकियां चिराग पासवान के साथ-साथ भाजपा नेताओं से भी है। अशोक चौधरी साफ तौर पर यह कहते नजर आ रहे हैं कि यह कुछ लोग चाहते हैं कि वह नीतीश कुमार से दूर हो जाए लेकिन वह ऐसा होने नहीं देंगे।
बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,
छोड़ दीजिए
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
छोड़ दीजिए।
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,
छोड़ दीजिए।
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,
छोड़ दीजिए।
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,
छोड़ दीजिए।
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,
छोड़ दीजिए।
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना
छोड़ दीजिए।
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,
छोड़ दीजिए।
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
छोड दीजिए।