Delhi-NCR में प्रदूषण का मीटर हाई, AQI 462 के पार

By एकता | Dec 14, 2025

रविवार को देश की राजधानी दिल्ली घने स्मॉग की चादर में लिपटी रही। हवा की क्वालिटी लगातार 'गंभीर' कैटेगरी में बनी हुई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, सुबह 6 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स 462 दर्ज किया गया।


दिल्ली के सभी 40 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा की क्वालिटी 'रेड' निशान दिखा रही थी, जिसका मतलब है कि एक्यूआई 'गंभीर' कैटेगरी में है। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के रोहिणी में एक्यूआई 499 रिकॉर्ड किया गया, जहां पर पार्टिकुलेट मैटर 2.5 प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण था। इसके अलावा, जहांगीरपुरी और विवेक विहार में एक्यूआई 495 रहा।

 

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कम विजिबिलिटी के कारण यातायात पर पड़ा असर

दिल्ली के कई इलाकों में स्मॉग की वजह से विजिबिलिटी काफी कम हो गई। ईस्ट दिल्ली के पटपड़गंज की तस्वीरों में, जहां सुबह 6 बजे एक्यूआई 488 था, लोग गाड़ियों की हेडलाइट जलाकर बहुत धीरे-धीरे गाड़ी चलाते दिखे।


ग्रेप 4 लागू

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने पहले ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज 3 के तहत पाबंदियां लगाईं, और बाद में इसे ग्रेप-4 तक बढ़ा दिया।


CAQM ने बताया कि एक्यूआई खराब होने का मुख्य कारण उत्तर-पश्चिम भारत की ओर से आया कमजोर पश्चिमी विक्षोभ था, न कि सिर्फ लोकल प्रदूषण। इन मौसमी स्थितियों के कारण हवा की गति बहुत कम हो गई, हवा शांत हो गई, और निचले वायुमंडल में नमी बढ़ गई। सर्दी में ऐसी स्थिति स्मॉग और कोहरे के लिए सही होती है, जिससे प्रदूषक सतह के पास ही रुक जाते हैं और फैल नहीं पाते।

 

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ग्रेप-4 के तहत मुख्य पाबंदियां

गैर-जरूरी ट्रकों का दिल्ली में आना बंद कर दिया गया है। सिर्फ जरूरी सामान ले जाने वाले या क्लीनर ईंधन पर चलने वाले ट्रकों को ही छूट है।


दिल्ली में रजिस्टर्ड मध्यम और भारी मालवाहक डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, सिवाय उनके जो जरूरी सेवाओं में लगे हैं।


निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है, जिसमें हाइवे जैसी सार्वजनिक परियोजनाएं भी शामिल हैं।


राज्य सरकारों को यह सलाह दी गई है कि वे कक्षा VI से IX और XI के छात्रों के लिए फिजिकल क्लास को ऑनलाइन कर सकती हैं।


सरकारी, नगर निगम और निजी कार्यालयों को सलाह दी गई है कि वे कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम कराएं, जिससे पीक-आवर ट्रैफिक कम हो सके।

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