दिल्‍ली NCR में बढ़ते प्रदूषण संकट के बीच आई एक अच्छी खबर

By अंकित सिंह | Oct 10, 2019

दिल्ली वासियों के लिए एक अच्छी खबर है, लेकिन यह मत सोचिये कि चुनाव से पहले कोई चीज मुफ्त में देने की घोषणा हुई हो। बल्कि बात यह है कि दशहरा के तुरंत बाद आने वाला दिन पिछले पांच वर्षों में सबसे कम प्रदुषित रहा है। यह दावा हमारा नहीं, बल्कि पर्यावरण निगरानी करने वाले अधिकारियों का है। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने इस बात की भी चेतावनी दी है कि एक सप्ताह के अंदर स्थिति बिगड़ सकती है। यह खबर राष्ट्रीय राजधानी में लोगों के लिए जितनी राहत भरी है उतनी ही सतर्क करने वाली है। चुंकि होता यह रहा है कि दशहरा उत्सव में विशाल पुतलों को जलाने के अलावा जमकर आतिशबाजी होती है जिससे कि वायु प्रदूषण में जबरदस्त वृद्धि होती है। यहीं कारण रहा है कि हर साल दशहरा के अगले दिन दिल्ली का AQI लेवल बढ़ जाता था। इसके अलावा दिल्ली के प्रदूषण के कारणों में पड़ोसी राज्यों के खेतों में जलने वाली पराली भी रहता है। 

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आर्श्चय की बात तो यह है कि इस बार भी दिल्ली में दशहरे की खूब धुम रही पर यह चमत्कार हुआ कैसे? केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से पता चला है कि बुधवार को शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पिछले साल के 326 की तुलना में 173 ही दर्ज किया गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में लोगों ने पुतले जलाने के दौरान पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखा और हरित पटाखे जलाए। बच्चों ने भी कम पटाखें जलाये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों से अपील की कि पर्यावरण प्रदूषण को कम करने, ऊर्जा एवं जल का संरक्षण करने और एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने का संकल्प लें। प्रधानमंत्री के इस अपील का भी असर देखने को मिल रहा है। दिल्ली में कई जगहों पर पुतलों को जलाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया गया था बल्कि पटाखों की आवाज के लिए अलग से साउंड की व्यवस्था की गई थी। 

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आयोजकों ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए यह कदम उठाया। कई जगह पुतलों के कद को छोटा रखा गया ताकि उन्हें जलने में कम समय लगे और प्रदुषण ना फैले। इसके अलावा आस-पास के राज्यों से भी इसी तरह की बात सुनने को मिली। साथ ही साथ किसानों ने अभी पराली जलाना शुरू नहीं किया है जिसकी वजह से प्रदूषण में कमी देखने को मिली। दशहरा उत्सव के विशेषज्ञों और आयोजकों ने भी माना है कि आतिशबाजी और पुतला जलाने के लिए कई लोगों द्वारा एक सचेत निर्णय लेने से हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। लाजपत नगर- II के सी-ब्लॉक में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम के अध्यक्ष योगेश पाहुजा ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए हमने किसी भी पटाखे को नहीं जलाने का फैसला किया ताकि उत्सव का महत्व बना रहे। 

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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने कहा कि हवाओं और लंबे समय तक मॉनसून के प्रदूषण के कारणों के नियंत्रण में रखा। लेकिन 12 अक्टूबर के बाद इसमें बदलाव हो सकता है। बता दें कि दिल्ली लगातार वायु प्रदूषण कि चपेट में रहती है जिसकी वजह वाहनों और नजदीकी राज्यों में जलती फसलों से निकलने वाले धुएं, सड़क की धूल, और हजारों निर्माण स्थलों की रेत है। सर्दियों में यह प्रदूषण और बढ़ जाता है। त्योहारी मौसम में यह खतरनाक स्तर तक चला जाता है। इस साल के दशहरे में एक अच्छी खबर मिली है। ऐसे में हम उम्मीद कर सकते है कि यह आगे भी जारी रहे। 

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