भारत-अमेरिका परमाणु संधि के खिलाफ थे प्रकाश करात, मनमोहन सरकार से समर्थन वापस लेकर डाला था मुश्किलों में

By अनुराग गुप्ता | Feb 15, 2022

नयी दिल्ली। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव रहे प्रकाश करात भारत-अमेरिका परमाणु संधि के खिलाफ रहे हैं। उस वक्त मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 की सरकार अमेरिका के साथ संधि करना चाहती थी और फिर करार हुआ भी। प्रकाश करात का जन्म बर्मा के एक मलयाली परिवार में हुआ था। प्रकाश करात के पिता ब्रिटिश काल के अंतर्गत भारतीय रेलवे में कार्यरत थे लेकिन पिता की मृत्यु के बाद उनका परिवार 1957 में बर्मा छोड़कर केरल आ गया था। 

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प्रकाश करात की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्हें साल 1964 में टोक्यो जाने का मौका मिला। दरअसल, स्कूल खत्म होने के बाद प्रकाश करात ने टोक्यो ओलंपिक पर एक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता था।

भारत-अमेरिका परमाणु संधि

साल 2004 के कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार बनाई और डॉ. मनमोहन सिंह की ताजपोशी हुई। उस वक्त भाकपा और लेफ्ट फ्रंट के समर्थन की सरकार थी। कुछ वक्त गुजर जाने के बाद साल 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश दिल्ली आए थे और उस वक्त मनमोहन सरकार उनकी जमकर खातिरदारी कर रही थी क्योंकि अमेरिका के साथ परमाणु संधि करनी थी। लेकिन माकपा महासचिन प्रकाश करात इसके समर्थन में नहीं थे और उन्होंने मनमोहन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी योजना को नहीं बदला और उसी का परिणाम है कि माकपा के समर्थन के बिना भारत और अमेरिका के बीच परमाणु संधि हुई।

इसके बाद भी लेफ्ट फ्रंट लगातार इस संधि को समाप्त करने के लिए सरकार पर जोर देता रहा है और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस विषय पर बातचीत की थी। इसके बावजूद वो पीछे नहीं हटे। प्रकाश करात समेत कई लेफ्ट फ्रंट के नेताओं ने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया और इसके बारे में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह को अवगत भी कराया था। लेफ्ट फ्रंट के समर्थन वापस लेने के बाद भी मनमोहन सिंह की सरकार नहीं गिरी और सदन में सरकार ने विश्वास प्रस्ताव भी जीता था।

प्रारंभिक जीवन

प्रकाश करात के पिता की मृत्यु की बाद परिवार को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उनकी मां ने कुछ वक्त तक भारतीय निगम बीमा (एलआईसी) के एजेंट के तौर पर काम किया था। प्रकाश करात पढ़ाई के मामले में काफी प्रतिभाशाली थे और उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता था। कॉलेज के दिनों में प्रकाश करात की मुलाकात प्रख्यात मार्क्सवादी प्रोफेसर विक्टर किरनन से हुई थी। जिसके बाद वो मार्क्सवाद से प्रभावित हुए और फिर उन्होंने साल 1970 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए दाखिला लिया था। 

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इसके बाद वो लगातार कम्यूनिस्ट पार्टी से संबंधित छात्र संघ से जुड़े रहे और फिर साल 1975 में उन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्य ब्रिंदा करात से विवाह कर लिया।

छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करते वाले प्रकाश करात ने आपातकाल के दौरान अंडरग्राउंड होकर पार्टी के लिए काम किया था। हालांकि उन्हें 2 बार जेल भी जाना पड़ा था और 8 दिन रातें जेल में गुजारी थीं । साल 1982 में प्रकाश करात कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की दिल्ली इकाई के सचिव नियुक्त हुए थे लेकिन 3 साल बाद 1985 में माकपा में चले गए और वहां पर उन्हें केंद्रीय समिति में जगह मिली और देखते ही देखते साल 2005 में उन्हें महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर प्रकाश करात 2015 तक रहे।

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