JDU-RJD मिलन में प्रशांत किशोर की रही भूमिका? जानें PK का जवाब, नीतीश को लेकर कही यह बात

By अंकित सिंह | Aug 10, 2022

बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार और लालू यादव का मिलन हो गया है। 2015 में दोनों नेताओं ने एक साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा था और प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई थी। उस समय इसमें चुनाव चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी गई थी। हालांकि, 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए थे। उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। अब एक बार फिर से वह भाजपा से अलग हो गए हैं और राजद-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। खबर तो यह भी चल रही है कि इस बार भी जदयू-राजद मिलन में प्रशांत किशोर का हाथ है। विभिन्न मीडिया चैनलों पर प्रशांत किशोर का इंटरव्यू चलाया जा रहा है। इस तरह के किसी भी कयास से प्रशांत किशोर लगातार इंकार कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है और ना ही कोई इच्छा है इस तरह की भूमिका निभाने में।

 

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प्रशांत किशोर से पूछा गया कि आप इस गठबंधन को कैसे देखते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2012-13 के बाद से नीतीश कुमार ने 10 सालों में यह छठा प्रयोग किया है। बिहार में इस वक्त राजनीतिक अस्थिरता है। इसमें एक चीज तो फिक्स है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। लेकिन बाकी की चीजें समय-समय पर बदलती रहती हैं जिसका असर बिहार के विकास पर पड़ता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 2015 में जो गठबंधन बना था वह अलग था और आज की परिस्थिति बिल्कुल अलग है। साथ ही साथ यह भी कहा कि बिहार में कुछ बदलने वाला नहीं है क्योंकि गवर्नेंस का मॉडल एक ही हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने हुए हैं। उन्होंने साफ कहा कि अलग-अलग तरह से नीतीश कुमार लगातार ट्राई करते रहते हैं। नई सरकार के लिए उनको शुभकामनाएं।

 

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चुनावी रणनीतिकार ने साफ तौर पर कहा कि 115 विधायकों वाली पार्टी 43 पर आ गई है। ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार की क्रेडिबिलिटी में गिरावट नहीं हुई है। हां, यह अलग बात है वह किसी न किसी गठजोड़ से मुख्यमंत्री बन जाते हैं। एक निजी चैनल से उन्होंने बात करते हुए साफ तौर पर कहा कि नीतीश कुमार ने 2017 में एनडीए में जाने वाले कदम का असर क्या होगा, यह तो समय बताएगा। उन्होंने यह भी कह दिया कि नीतीश कुमार का ग्राफ गिर रहा है। प्रशांत किशोर ने पूछा शराबबंदी को लेकर आ गए क्या होता है, मुझे देखना होगा। तेजस्वी यादव 10 लाख नौकरी देते हैं या नहीं देते हैं। इस पर सबकी निगाहें होगी। 

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