By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 23, 2016
ऐसे समय में जब कई राज्य सूखे की चपेट में हैं, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक निजी विधेयक पर विचार करने की अनुशंसा की है जिसमें शुष्क, रेगिस्तानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को राहत मुहैया कराने और दस हजार करोड़ रूपये के शुरुआती धन से कल्याण कोष बनाए जाने की बात कही गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने दिसम्बर 2014 में ‘शुष्क एवं रेगिस्तानी क्षेत्र (कल्याण और अन्य विशेष प्रावधान) विधेयक 2014’ राज्यसभा में पेश किया था।
विधेयक यदि पारित होता है तो इसमें किये गये प्रावधानों में भारत की संचित निधि से खर्च करना होगा। इस विधेयक के वित्तीय ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘अनुमान है कि इस पर प्रति वर्ष 20 हजार करोड़ रूपये का खर्च आएगा। इसके अलावा संचित निधि से 5,000 करोड़ रूपये का एकबारगी खर्च भी हो सकता है।’’ राज्यसभा के महासचिव को कुछ दिन पहले भेजे एक पत्र में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि राष्ट्रपति को जब एक खास निजी सदस्य के विधेयक की विषयवस्तु के बारे में अवगत कराया गया तो उन्होंने संविधान की धारा 117 (3) के तहत इसे राज्यसभा के विचारार्थ अपनी अनुशंसा दी है।
नियम के मुताबिक निजी सदस्य के किसी विधेयक जिसके अमल में आने पर भारत की संचित निधि से खर्च का प्रावधान हो, ऐसे विधेयक पर तब तक चर्चा एवं उसे पारित नहीं कराया जा सकता जब तक कि राष्ट्रपति उस सदन जिस सदन के सदस्य ने विधेयक तैयार किया है, में विधेयक पर चर्चा के लिये अनुशंसा नहीं देते हैं। बहरहाल, राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद राज्यसभा ने विधेयक को विचार के लिये सूचीबद्ध कर लिया है। विधेयक में सूखा और रेगिस्तानी क्षेत्रों के किसानों के लिये 10,000 करोड़ रूपये के शुरुआती कोष से कल्याण कोष स्थापित किये जाने का प्रावधान है। यह राशि केन्द्र सरकार उपलब्ध करायेगी।