राष्ट्रपति अभिभाषण: सत्तापक्ष की तालियां, विपक्षी सदस्यों ने पहनी काली पट्टी, शर्म करो के नारे लगे

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 31, 2020

नयी दिल्ली। संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को कांग्रेस एवं कई विपक्षी दलों के सदस्य दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान बाहों पर काली पट्टी बांध कर ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष पहुंचे। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के उल्लेख के दौरान प्रधानमंत्री सहित सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कुछ देर तक मेजें थपथपा कर स्वागत किया जबकि विपक्षी सदस्यों ने ‘शर्म करो’ के नारे लगाये। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने संशोधित नागरिकता कानून का उल्लेख किए जाने के दौरान शोर शराबा किया। कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने एक सफेद कपड़ा दिखाना शुरू किया, जिस पर लिखा था ‘‘नो सीएए’’, ‘‘नो एनआरसी’’।अभिभाषण के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी अपनी निर्धारित सीट के बजाय पांचवीं पंक्ति में बैठे हुए थे। इनके साथ गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी और बेनी बेहनान बैठे थे। कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी सहित अनेक कांग्रेस सदस्य काली पट्टी बांधे हुए थे और पिछली कतारों में बैठे थे। 

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अभिभाषण के दौरान कोविंद ने जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया तो प्रधानमंत्री मोदी सहित सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया, वहीं द्रमुक, वामदल सहित विपक्षी दल के सदस्य ‘‘शर्म करो, शर्म करो’’ के नारे लगा रहे थे। विपक्षी सदस्यों के नारे के बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों ने करीब एक मिनट तक मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया। एक घंटे से अधिक चले राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने 110 बार मेज थपथपाकर विभिन्न उल्लेखों का स्वागत किया।

राष्ट्रपति द्वारा सीएए का जिक्र किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा काफी देर तक मेजें थपथपाई गयी और विपक्षी सदस्य ‘शर्म करो’ के नारे लगाते रहे। अभिभाषण समाप्त होने के बाद केन्द्रीय कक्ष से बाहर निकलते हुए, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बताया कि आज 14 विपक्षी दलों के सदस्य बांहों पर काली पट्टी बांधकर संयुक्त बैठक में आये थे। इससे पहले अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सीएए सहित विभिन्न मुद्दों पर देश में चल रहे प्रदर्शनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हिंसा से लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि देश के लोग खुश हैं कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को सात दशक बाद देश के बाकी हिस्सों के बराबर अधिकार मिले।

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कोविंद ने सीएए को ऐतिहासिक करार देते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि इसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सहित देश के निर्माताओं के स्वप्नों को पूरा किया है। भारत ने हमेशा सर्वधर्म समभाव पर विश्वास किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जो लोग पाकिस्तान में नहीं रह सकते, वे भारत आ सकते हैं। संसद ने सीएए बनाकर उनके विचारों का सम्मान किया है। हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करते हुए इसका कड़ा विरोध किया।

अभिभाषण के दौरान जब कुछ देर तक तृणमूल कांग्रेस सदस्य एक सफेद कपड़े पर लिखा ‘‘नो सीएए’’, ‘‘नो एनआरसी’’ दिखा रहे थे तब टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन को उनकी फोटो लेते देखा गया। अभिभाषण के दौरान अगली पंक्ति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर, डा. हर्षवर्द्धन, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, राम विलास पासवान, एस जयशंकर, नरेन्द्र सिंह तोमर आदि बैठे थे।

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अभिभाषण के दौरान राम मंदिर के उल्लेख, नये भारत के लिये नया जनादेश, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जिक्र के अलावा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने, सीएए, अर्थव्यवस्था के उल्लेख के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने काफी गर्मजोशी से मेजें थपथपायी। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व के उल्लेख, पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकास पहल, हज कोटा में वृद्धि, अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण, खेलो इंडिया, हर घर को नल से जल के उल्लेख पर भी मेजें थपथपायी। अभिभाषण समाप्त होने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों सहित कुछ विपक्षी दलों के सांसदों को भाजपा के नये अध्यक्ष जे पी नड्डा को बधाई देते देखा गया। 

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