कानून के बावजूद मेडिकल कॉलेजों द्वारा कैपिटेशन फीस लेने की परंपरा जारी है : न्यायालय

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 20, 2022

नयी दिल्ली| उच्चतम न्यायालय ने मेडिकल कॉलेजों द्वारा लिए जाने वाले कैपिटेशन फीस पर बृहस्पतिवार को चिंता जताई और कहा कि कानूनी तौर पर इसकी मनाही होने के बावजूद यह परंपरा जारी है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों को कैपिटेशन फीस वसूलने से बचने के लिए नकदी के रूप में फीस स्वीकार करने पर सख्त मनाही है।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि वह शिक्षा के व्यवसायीकरण की कड़वी सच्चाई और विभिन्न संस्थानों द्वारा पैसे ऐंठने के लिए अपनाए जा रहे गलत तरीकों को देखकर चुप नहीं रह सकती है।

कैपिटेशन फीस किसी भी अन्य नाम से वसूली जाने वाली वह राशि है, जो मेडिकल कॉलेजों द्वारा पाठ्यक्रम की तय फीस के अतिरिक्त प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वसूली जाती है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस पीठ की समझ है कि वह शिक्षा के व्यवसायीकरण की कड़वी सच्चाई और विभिन्न संस्थानों द्वारा पैसे ऐंठने के लिए अपनाए जा रहे गलत तरीकों को देखकर भी चुप नहीं रह सकती है।

इस अदालत का विचार है कि दाखिले की प्रक्रिया का नियमन करना होगा, ताकि दाखिला मेधा के आधार पर और पूरी पारदर्शिता के साथ हो सके और कैपिटेशन फीस लिये जाने या मुनाफा कमाने पर नजर रखा जा सके।

प्रमुख खबरें

पुलवामा हमले के वक्त Modi फिल्म की शूटिंग करने में व्यस्त थे : Farooq Abdullah

South China Sea में परिचालन संबंधी तैनाती के लिए भारतीय नौसेना के तीन पोत Singapore पहुंचे

China के राष्ट्रपति ने वरिष्ठ राजनयिक Xu Feihong को भारत में अपना नया राजदूत नियुक्त किया

Sikh अलगाववादी नेता की हत्या की कथित साजिश में भारत की जांच के नतीजों का इंतजार : America