पूर्वानुमानों की बारिश (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Apr 18, 2025

नए ज़माने के बुद्धिजीवी और अबुद्धिजीवी, अनेक मामलों में नई कहावतें, मुहावरे और परिभाषाएं इजाद कर चुके हैं। कई बार पुरानी कहावतें ज़बान पर आ जाती हैं, लगता भी है बिलकुल सटीक बैठी। यह उसी तरह होती है जैसे सरकार द्वारा शहरों के बदले हुए नाम, ज़बान पर चढ़ते चढ़ते वक़्त लगता है लेकिन पुराने नाम छूटते नहीं और लगता है कि यह भी सही था। 


बार बार आती यह खबर, गर्मी बढ़ा देती है कि आने वाले दिनों में पूर्वी भारत में लोगों को भीषण गरमी झेलनी पड़ सकती है। सरकार के अधिकृत विभागों द्वारा लू चलने की चेतावनी भी जारी की गई है। स्पष्ट है और गनीमत है कि यह सब कुछ पारम्परिक रूप से आम लोगों के लिए है। जिन्हें खूब गर्मी झेलने की आदत है। कोई भी स्थिति झेलने की प्रवृति, पैदा होने के साथ ही उगती है। ज़्यादा गर्मी ज़्यादा बड़ी समस्या नहीं होती, उससे भी ज्यादा विकराल समस्याएं, दो दो नहीं कई कई हाथ करने को तैयार खड़ी होती हैं। 

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एक पूर्वानुमान में बारिश के साथ तेज हवाओं, ओलावृष्टि, आंधी, बिजली की चेतावनी आई है। यह भी तो सामान्य जन के लिए है और सरकारी विभागीय कर्मचारियों के लिए ताकि वे पिछले साल दी गई प्रेस विज्ञप्ति को, जिसमें सरकार को किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार कहा गया था, को पुन प्रसारित और प्रकाशित करवा दें ताकि आम जनता कुछ ठंडे ठहाके लगा लें। एक और नया पूर्वानुमान आया है जिसने बढ़ती गर्मी में ठंडक का एहसास दिलाया है। इस खबर में बेहतर भविष्य की घोषणा है और बिना किसी ज्योतिषी की मदद के है इसलिए अच्छी लग रही है। वर्तमान चाहे कैसा भी चल रहा हो हम आश्वासन ओढने, बिछाने और पहनने वाले लोग हैं। राजनेताओं ने हमें यह आदत डाल दी है। 

 

स्पष्ट घोषणा कर दी गई है इस बार भी मानसून यह बात कहने के लिए मान गया है कि देश में सामान्य से अधिक बारिश होगी। स्वाभाविक है मानसून ने इंसानी इंतज़ामों की ज़रा सी भी बात नहीं की। वह इसके लिए अधिकृत ही नहीं है कैसे करता। उसे पता है अगर वह प्रबंधों पर ज्यादा बरसा तो उसे ही दोषी ठहराया जाएगा। क्या सामान्य से अधिक बारिश में सामान्य, नए वाला सामान्य ही माना जाएगा।


वैसे बारिश सामान्य हो, सामान्य से अधिक हो या अधिक हो, आम लोगों को फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि वे तो हर असामान्य को सामान्य मानने के अभ्यस्त हो चुके हैं। उन्हें इससे क्या लेना कि कैसे अनुमान लगाया जाता है कि बारिश कितनी होगी। उन्हें तो इस बात से भी कोई मतलब नहीं कि बारिश किस कुदरती संयोजन से होती है। 


हम तो विपत्ति में अवसर देखने वाले विश्वगुरुओं के चेले हैं, कहीं भी मात नहीं खाते। सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान भी तो, अभी अनुमान ही है न।  


- संतोष उत्सुक

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