Prabhasakshi NewsRoom: Rajnath Singh ने एक सप्ताह के भीतर दुनिया को तीन बड़े संदेश दे दिये हैं

By नीरज कुमार दुबे | Jul 02, 2025

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन और उसके बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में जिस सख्त और स्पष्ट रुख का प्रदर्शन किया, वह भारत की बदलती रणनीतिक सोच, रक्षा नीतियों में आत्मविश्वास और वैश्विक मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण का परिचायक है। देखा जाये तो भारत अब केवल प्रतिक्रिया करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक विमर्शों को नई दिशा देने वाला राष्ट्र बनता जा रहा है।


हम आपको याद दिला दें कि एससीओ सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने साफ शब्दों में कहा था कि आतंकवाद को किसी भी बहाने से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता और जो देश इसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन देते हैं, उन्हें वैश्विक बिरादरी में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया था मगर एससीओ जैसे बड़े मंच पर भारत की ओर से इस प्रकार की सीधी और नैतिक दृष्टिकोण वाली भाषा ने भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत किया।

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अब अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ हुई द्विपक्षीय बातचीत में भी राजनाथ सिंह ने "सहयोग के साथ आत्मसम्मान" का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरण खरीददार नहीं, बल्कि साझेदार बनना चाहता है। उन्होंने संदेश दिया कि तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त उत्पादन और रणनीतिक निर्णयों में बराबरी का दर्जा भारत की प्राथमिकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने इंडो-पैसिफिक में आक्रामक सैन्य विस्तार पर अप्रत्यक्ष रूप से चीन का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनका यह रुख अमेरिका को स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अब अधिक मुखर और नीतिगत रूप से दृढ़ है, साथ ही यह भी बताता है कि भारत अब "सहयोग" शब्द को परस्पर सम्मान और समान शक्ति संतुलन की दृष्टि से परिभाषित कर रहा है।


राजनाथ सिंह ने एक सप्ताह के भीतर दुनिया को जो तीन बड़े संदेश दिये वो हैं- भारत अब आतंकवाद पर समझौतावादी नहीं है, चाहे वह क्षेत्रीय हो या वैश्विक। दूसरा संदेश है- किसी भी रक्षा साझेदारी में तकनीकी आत्मनिर्भरता, बराबरी और सम्मान की मांग अब भारत के एजेंडे में शीर्ष पर है। तीसरा संदेश है- भारत वैश्विक शक्ति संतुलन का समर्थक है, लेकिन किसी भी दबाव या गुटीय राजनीति के आगे झुकने वाला नहीं है। देखा जाये तो राजनाथ सिंह की रणनीति केवल शब्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह भारत की रक्षा नीति में आत्मविश्वास, कूटनीति में स्पष्टता और वैश्विक मंचों पर नेतृत्वकारी भूमिका की अभिव्यक्ति भी है। भारत अब न तो आतंकवाद के मुद्दे पर चुप रहेगा और न ही रक्षा सहयोग के नाम पर किसी भी देश से एकतरफा अपेक्षाएं स्वीकार करेगा। यह रुख 21वीं सदी के नए भारत की पहचान बनता जा रहा है।


जहां तक अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ राजनाथ सिंह की फोन पर हुई द्विपक्षीय चर्चा की बात है तो आपको बता दें कि इसका मुख्य उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और गहराई देना था। दोनों नेताओं ने पिछले वर्षों में हुई प्रगति की सराहना करते हुए यह स्वीकार किया कि भारत-अमेरिका रक्षा भागीदारी अब केवल उपकरणों की खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह साझा निर्माण, तकनीकी हस्तांतरण और सामरिक सहयोग की नई ऊँचाइयों को छू रही है। राजनाथ सिंह ने "मेक इन इंडिया" के तहत रक्षा उत्पादन में अमेरिकी निवेश और तकनीकी साझेदारी का स्वागत किया, जबकि पीट हेगसेथ ने भारत को विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार बताया।


राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ के बीच चर्चा में साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ड्रोन प्रौद्योगिकी जैसे भविष्य के खतरों और अवसरों पर विशेष बल दिया गया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आधुनिक युद्ध केवल पारंपरिक सीमाओं तक सीमित नहीं है और इसके लिए तकनीकी नवाचारों में सहयोग आवश्यक है। साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में दोनों देशों ने एकजुटता दिखाई और किसी भी रूप में आतंकवाद को समर्थन देने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बात कही। राजनाथ सिंह ने तेजस लड़ाकू विमान के लिए जीई के इंजन की सप्लाई में भी तेजी लाने को कहा। वार्ता के दौरान यह भी तय हुआ कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार और तकनीकी हस्तांतरण को और गति दी जाएगी। साथ ही भारत में अमेरिकी रक्षा कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की पूर्ति में सहयोग मिलेगा।


वार्ता के बाद राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को और प्रगाढ़ करने तथा क्षमता निर्माण में सहयोग को मजबूत करने के लिए चल रही एवं नयी पहलों की समीक्षा करने के लिए उत्कृष्ट चर्चा हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अमेरिका द्वारा दिए गए अटूट समर्थन की मैंने सराहना की। जल्द ही उनसे मिलने के लिए उत्सुक हूं।’’ रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि हेगसेथ ने राजनाथ सिंह को अमेरिका आने का निमंत्रण दिया, ताकि वे व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात करके द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ा सकें। हम आपको बता दें कि यह इस वर्ष जनवरी के बाद से राजनाथ सिंह और हेगसेथ के बीच टेलीफोन पर यह तीसरी बातचीत थी, जो दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में बढ़ती घनिष्ठता को दर्शाती है।


बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ की यह बैठक भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में विश्वास, सहयोग और तकनीकी गहराई का प्रमाण है। यह वार्ता सिर्फ दो राष्ट्रों के बीच सहयोग नहीं, बल्कि एक ऐसे वैश्विक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें लोकतांत्रिक मूल्य, साझा सुरक्षा और स्थायित्व की प्रतिबद्धता प्रमुख है।

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