बच्चों के साथ यौन अपराध की बढ़ती घटनाओं पर राज्यसभा में हुई चर्चा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 24, 2019

नयी दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने बच्चों के साथ यौन अपराध की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई किए जाने की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ ही सदस्यों का यह भी कहना था कि सिर्फ सख्त कानून बनाए जाने से ही समस्या समाप्त नहीं होगी, इसके लिएकानून व्यवस्था की स्थिति में भी सुधार लाना होगा।उच्च सदन के सदस्य लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पर चर्चा में भाग ले रहे थे। इस विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध के मामले में दोषी को मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है। विधेयक में अश्लील प्रयोजनों की खातिर बच्चों के उपयोग (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) पर नियंत्रण के लिए भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में 2012 के मूल कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यह विधेयक कल राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा था।

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चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के विवेक के तनखा ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों की सराहना की और कहा कि पेश किए गए संशोधन पूरी तरह से दंड पर ही केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत बच्चों को ऐेसे अपराधों से बचाने की भी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बनाने से समस्या समाप्त नहीं होगी और कई अन्य जरूरी कदम उठाए जाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ा विषय है। कानून व्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अभी बेटियों को घर से बाहर भेजने में डर लगता है। तनखा ने कहा कि विभिन्न कदम उठाए जाने के बाद भी अपराध रूक नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई मामलों में घर के सदस्य ही अपराध को अंजाम देते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े 2016 से जारी नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह देश की जानकारी के साथ खिलवाड़ है।उन्होंने ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर कम होने पर भी अफसोस जताया। उन्होंने पुलिस की छवि खराब होने का जिक्र करते हुए कहा कि आम लोग थाने जाने में डरते हैं। उन्होंने कहा कि बाल सुधार गृहों की हालत भी अच्छी नहीं है।सपा सदस्य जया बच्चन ने कहा कि सिर्फ कानून में संशोधनों से समस्या नहीं सुलझेगी। उन्होंने जिक्र किया कि निर्भया कांड के बाद नए कानून बनाए गए लेकिन थमने के बजाय अपराध बढ़ गये। उन्होंने त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि मानवता का गिरता हुआ चेहरा नजर आ रहा है और कानून के प्रति लोगों का डर समाप्त होता जा रहा है। उन्होंने कानून को सख्त बनाए जाने का स्वागत किया।

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उन्होंने कहा कि गलती करने वाला किसी भी आयुवर्ग का हो, उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने मृत्युदंड के प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि अपराधियों को मृत्युदंड देने के बदले जिंदा रखकर परेशान किया जाना चाहिए। उसे इतनी तकलीफ दी जानी चाहिए कि दूसरे के मन में डर पैदा हो सके।उन्होंने मौजूदा समस्या के लिए नयी प्रौद्योगिकी को जिम्मेदार ठहराए जाने पर आपत्ति जतायी और कहा कि इससे कब तक लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह माता-पिता का दायित्व है कि अगर कोई चीज आपत्तिजनक है तो वे टीवी या अन्य उपकरण बंद करें।

 

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