कैसे बना वॉचमैन का बेटा 'सर जडेजा' ? पढ़िए उनके जीवन के कुछ अनसुने किस्से

By अनुराग गुप्ता | Dec 06, 2021

नयी दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा आज अपना 33वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए कुल 168 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। जिनमें उन्होंने 37.36 के औसत से 188 विकेट हासिल किए। वहीं उन्होंने दमदार बल्लेबाजी भी की। इस दौरान उन्होंने 13 अर्धशतकीय पारियां खेली और कुल 2411 कीमती रन भारतीय टीम के लिए बनाए। ऐसे में हम आपको रवींद्र जडेजा से जुड़े हुए कुल दिलचस्प किस्से सुनाएंगे।

वॉचमैन के बेटे ने बनाई अपनी जगह

रवींद्र जडेजा का जन्म 6 दिसंबर, 1988 को सौराष्ट्र के बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में वॉचमैन थे। मुश्किल हालातों में जीवन यापन करने वाले रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिन्ह चाहते थे कि उनका बेटा भारतीय सेना में अफसर बने लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। रवींद्र जडेजा को क्रिकेट का काफी सौख था और उन्होंने खुद की साख बनाने के लिए काफी मेहनत और संघर्ष किया था। सर 'जडेजा' के नाम से प्रसिद्ध रवींद्र जडेजा ने अंडर-19 क्रिकेट से अपने कॅरियर की शुरुआत की। इतना ही नहीं साल 2008 में उन्होंने विश्व कप खिताब जीतने वाले अंडर-19 भारतीय टीम में उपकप्तान की भूमिका निभाई।

RR से की थी IPL कॅरियर की शुरुआत

देश को आईसीसी खिताब जिताने वाले महानतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से ज्यादा मैच फीस लेने वाले रवींद्र जडेजा ने साल 2008 में राजस्थान रॉयल्स से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कॅरियर की शुरुआत की थी और अब चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के लिए खेलते हैं। आपको बता दें कि सीएसके ने आईपीएल 2022 के लिए रवींद्र जडेजा को धोनी से ज्यादा फीस देकर रीटेन किया है।

कैसा रहा कॅरियर

रवींद्र जडेजा ने साल 2009 में भारत के लिए पहला एकदिवसीय और पहला टी20 मैच खेला। उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय और टी20 मुकाबला श्रीलंका के खिलाफ खेला था। साल 2008 में विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम में न सिर्फ शामिल थे बल्कि उपकप्तान भी थे। उन्हें शुरुआती दौर में काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा था और खराब फॉर्म की वजह से चर्चा से भी बाहर हो गए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। साल 2012 में खेले गए आईपीएल मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन करने के लिए भारतीय टीम में सर जडेजा की वापसी हुई। इसी साथ उन्हें टेस्ट खेलने का भी मौका मिला। उनके कॅरियर को निखारने में पूर्व कप्तान धोनी का भी अहम योगदान रहा है।

धोनी के संन्यास लेने के बाद कई मुकाबलों में भारतीय एकादश में जगह नहीं मिली लेकिन अपने प्रदर्शन के दम पर उन्होंने वापसी की। साल 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू करने वाले जडेजा ने 57 मुकाबलों की 108 पारियों में 24.85 के औसत से 232 विकेट हासिल किए। वहीं उन्होंने 57 मुकाबलों की 84 पारियों में एक शतक और 17 अर्धशतक की बदौलत 2195 रन बनाए हैं।

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