आरबीआई ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 09, 2016

मुंबई। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मार्च तक मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रहने के जोखिम का जिक्र करते हुए आज नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया, हालांकि उन्होंने आज यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक का नीतिगत रुख उदार बना हुआ है। मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा व्यवस्था में राजन के कार्यकाल की आज यह आखिरी बैठक थी और ज्यादातर विश्लेषकों ने वर्तमान आंतरिक व वाह्य परिस्थितियों को ध्यान में रख कर यही अनुमान लागया था कि राजन नीतिगत ब्याज दर में फिलहाल बदलाव नहीं करेंगे। रिजर्व बैंक ने आगामी मार्च तक मुद्रास्फीति को पांच प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।

 

राजन ने चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति की तीसरी द्वैमासिक समीक्षा में कहा, 'रिजर्व बैंक के लिए इस वक्त रेपो दर अपरिवर्तित रखना और नीतिगत पहल की गुंजाइश के लिए अभी इंतजार करना उचित है। मौद्रिक नीति का रुख उदार बना हुआ है और केंद्रीय बैंक धन की उपलब्धता के पर्याप्त प्रावधान पर जोर देता रहेगा।’’ रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को उनकी फौरी जरूरत के लिए धन उधार देता है। यह इस समय 6.5 प्रतिशत है। इसी के अनुसार रिवर्स रेपो छह प्रतिशत पर बनी हुई है।

 

बैंक ने आरक्षित नकदी-अनुपात (सीआरआर) भी चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है। सीआरआर के तहत बैंकों को अपने पास जामा राशियों का निर्धारित हिस्सा केंद्रीय बैंक के नियंत्रण में रखना पड़ता है और इस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता। राजन ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति, सेवाओं की महंगाई और सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के असर के कारण जोखिम है कि मार्च 2017 तक खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य के ऊपर रह सकती है। जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 22 महीने के उच्चतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। आरबीआई ने कहा कि जोरदार बुवाई और मानसून की सकारात्मक प्रगति खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के लिए अच्छा संकेत है हालांकि दालों और अनाजों की कीमत बढ़ रही है।

 

आरबीआई ने वृद्धि के संबंध में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के आधार पर अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत पर यह कहते हुए बरकरार रखा कि अनुकूल मानसून से कृषि वृद्धि तथा ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी और सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के मद्देनजर खपत बढ़ने से इसमें मदद मिलेगी। मानसूनी वर्षा फिलहाल औसत से तीन प्रतिशत अधिक है। राजन का तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को पूरा हो जाएगा। इसके बाद वह फिर पठन-पाठन के क्षेत्र में चले जाएंगे। उन्होंने कार्यकाल की शुरूआत नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के साथ की थी जिसके कारण कुछ हलकों में उनकी ऐसी छवि प्रस्तुत की गयी मानो वह मुद्रास्फीति नियंत्रण पर जरूरत से अधिक सक्रियता दिखाने वाले गवर्नर हैं।

 

डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच मुद्रास्फीति का एक लक्ष्य तय करने के विधिवत ढांचे पर समझौते से इस तरह की राय को और बल मिला। नयी व्यवस्था के तहत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का ढांचा लागू किए जाने से पहले गवर्नर के नेतृत्व में आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति की घोषणा का आज यह आखिरी मौका था। मौद्रिक नीति की पहल अब छह सदस्यीय एमपीसी करेगी जिसमें रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के तीन तीन प्रतिनिधि होंगे। आरबीआई ने वस्तु एवं सेवा कर संविधान संशोधन विधेयक पारित किए जाने का आज यह कहते हुए स्वागत किया कि यह आर्थिक सुधारों के प्रति राजनैतिक आम सहमति की दिशा में एक शुभ संकेत है।’

 

आरबीआई ने कहा कि जीएसटी को अप्रैल 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा लेकिन अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में इस सुधार से आने वाले वर्षों में सरकार की राजकोषीय स्थिति सुदृढ़ होगी, कारोबार जगत का विश्वास बढ़ेगा तथा अंतत: निवेश प्रोत्साहित होगा। केंद्रीय बैंक ने कहा है, ‘‘मौद्रिक नीति में उदारता के मौजूदा रुख और बैंकों के पास धन की संतोषजनक स्थिति से भी वातावरण मांग बढ़ाने में मजबूती के अनुकूल होगा।’’ राजन ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थानों (मुद्राकोष और विश्वबैंक आदि) द्वारा वैश्विक वृद्धि के अनुमानों में लगातार कमी और विश्व व्यापार में नरमी से वैश्विक बाजार में मांग और नरम पड़ने के संकेत मिल रहे हैं।

 

मुद्रास्फीति के संबंध में उन्होंने कहा कि आरबीआई सातवें वेतन आयोग के क्रियान्वयन के कारण मकान किराया भत्ता में वृद्धि के सांख्यिकीय प्रभाव की दृष्टि से भी देखेगा लेकिन मुद्रास्फीतिक की प्रत्याशाओं पर पर इसके असर की निगरानी सावधानी से करनी होगी। जून में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गई और अच्छे मानसून के कारण खाद्य कीमतों में गिरावट होने से पहले यह जुलाई में इसके और बढ़ने का अनुमान है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी जून में लगातार पांचवें महीने बढ़कर 1.68 प्रतिशत हो गई। आरबीआई अब विधिवत मुद्रास्फीति को सीमित रखने के लक्ष्य पर चलने वाला केंद्रीय बैंक बन गया है। इसने मार्च 2017 तक मुद्रास्फीति को सीमित कर पांच प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।

 

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