By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 25, 2021
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लाभांश वितरण को लेकर दिशानिर्देश जारी किये। इस पहल का मकसद लाभांश वितरण में पारदर्शिता और एकरूपता लाना है। दिशानिर्देश 31 मार्च, 2022 को समाप्त वित्त वर्ष और उसके बाद के लाभ से लाभांश वितरण के लिये प्रभावी होगा। ये उन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर लागू होगा, जो आरबीआई के नियमन के दायरे में आती हैं।
लाभांश की घोषणा के लिए निर्धारित न्यूनतम आवश्यकताओं के अनुसार, संबंधित एनबीएफसी का शुद्ध एनपीए अनुपात पिछले तीन वर्षों में से प्रत्येक में 6 प्रतिशत से कम होना चाहिए। इसमें वह वित्त वर्ष भी शामिल है, जिसके लिए लाभांश की घोषणा प्रस्तावित है। साथ ही, एनबीएफसी (एकल प्राथमिक डीलरों के अलावा) को पिछले तीन वित्त वर्षों में से प्रत्येक के लिए लागू नियामकीय पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। इसमें वित्त वर्ष भी शामिल है जिसके लिए लाभांश प्रस्तावित है। दिशानिर्देश में एनबीएफसी के लिये लाभांश भुगतान को लेकर सीमा भी निर्धारित की गयी है।
इसके तहत एक अगर एनबीएफसी एक प्रमुख निवेश कंपनी है, तो अधिकतम लाभांश भुगतान अनुपात 60 प्रतिशत और अन्य एनबीएफसी के लिए 50 प्रतिशत हो सकता है। हालांकि, उन एनबीएफसी के लिए कोई सीमा निर्दिष्ट नहीं है जो सार्वजनिक धन स्वीकार नहीं करती हैं और जिनका ग्राहकों से आमना-सामना नहीं होता। आरबीआई ने कहा कि प्रस्तावित लाभांश में इक्विटी शेयरों पर लाभांश और टियर 1 पूंजी में शामिल किए जाने वाले अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय तरजीही शेयर दोनों शामिल होंगे।