By अंकित सिंह | Aug 19, 2025
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने उपराष्ट्रपति चुनाव, राहुल गांधी के आरोप और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण पर विश्लेषण किया। इस दौरान हमेशा की तरह हमारे साथ रहे मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्णन का नाम आगे किया गया है। इसको लेकर हमने नीरज दुबे से सवाल पूछे। नीरज दुबे ने कहा कि संगठन का काम करने का राधाकृष्णन जी को इनाम मिला है। वह बेहद ही शांत और सहज स्वभाव के व्यक्ति हैं। उनके सभी दलों में अच्छी पकड़ है। सभी से उनके अच्छे संबंध है। वह वैचारिक रूप से भाजपा से लगातार जुड़े रहे हैं। 16 वर्ष की आयु से वह संघ से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ को लेकर भाजपा को जो कड़वा अनुभव मिला है। उससे सबक लेते हुए सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हमने अपने कार्यक्रम में कई नामों को लेकर चर्चा की। लेकिन इतना तय था कि जो नाम भी सामने आएगा, वह भाजपा या संघ की पृष्ठभूमि का ही होगा और यही हमने देखा भी। सीपी राधाकृष्णन जी हमेशा पार्टी के लिए काम किया है। परिस्थितियां चाहे जो भी रही हो, लेकिन वह पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से भी सीपी राधाकृष्णन को लेकर कोई ऐसा बयान नहीं दिया जा रहा है जिसमें कड़वाहट हो। हां, यह जरूर कहा जा रहा है कि वह आरएसएस के हैं। लेकिन उनके व्यवहार की आलोचना कहीं से भी नहीं हो रही है और हमने देखा है कि गवर्नर के तौर पर झारखंड और महाराष्ट्र में भी वह कितने सहज रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह विवादों से दूर रहे हैं और यही कारण है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व का भरोसा प्राप्त हुआ है और एनडीए का भी समर्थन उसे हासिल होता दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं राधाकृष्णन को आगे कर कर भाजपा ने तमिलनाडु की राजनीति को भी साधने की कोशिश की है। एक ओर जहां भाजपा पर आरोप लगता है कि भाजपा तमिलनाडु के लोगों से भेदभाव करती है। वहीं अब भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि कोई भेदभाव नहीं है। हम सबको साथ लेकर आगे चलते हैं।
आजादी के बाद पहली बार देश के किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से आरएसएस का नाम लिया है। इसके बाद अब प्रधानमंत्री की विपक्ष जबरदस्त तरीके से आलोचना कर रहा है। इसी को लेकर नीरज दुबे से हमने सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में सभी का योगदान रहा है। केवल कांग्रेस का योगदान रहा है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आरएसएस का भी आजादी के आंदोलन में योगदान रहा है। हां, उनके कामों को आगे नहीं किया गया। निस्वार्थ भाव से आरएसएस के लोग काम करते थे और यही कारण रहा की एकजुट होकर भारत ने अंग्रेजों से आजादी हासिल की। ऐसे में विश्व का सबसे बड़ा संगठन आज अपने 100 साल पूरे कर रहा है तो उसका जिक्र क्यों न किया जाए। हमें आजादी मिली लेकिन आधी अधूरी मिली थी। विभाजित आजादी मिली थी। लेकिन आरएसएस का जिक्र जरूर होना चाहिए। आरएसएस 100 साल से लगातार देश के अलग-अलग क्षेत्र में काम करता रहा है और उसके बदले उसका कोई अपना स्वार्थ नहीं होता है।
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच चल रहे तकरार पर नीरज दुबे ने कहा कि कांग्रेस नेता जिस तरीके से आरोप लगा रहे हैं, वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। बावजूद इसके आप चोरी चोरी कह रहे हैं। आप बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। चुनाव आयोग आपके सारे आरोपों का जवाब दे रहा है। बावजूद इसके आप एक के बाद एक आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं। आप राजनीतिक तौर पर अपने विरोधियों से लड़िया लेकिन आप देश के संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं जो यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। हालांकि राहुल गांधी ऐसा नहीं है कि पहली बार सवाल खड़े कर रहे हैं। हमने देखा कि मनमोहन सिंह की सरकार थी तब वह किस तरीके से सरकारी बिल फाड़ कर फेंक देते थे जो वीडियो वायरल हुआ था। राहुल गांधी को गंभीरता से हमारे संविधानिक संस्थानों पर विश्वास करना चाहिए। अविश्वास लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। एक परिवार है जो खुद को इस देश का मालिक मानता है और इसी वजह से राहुल गांधी की इस तरह की मानसिकता बार-बार पर दिखाई देती है।