By रेनू तिवारी | Jan 20, 2025
आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में, संजय रॉय को आज सजा सुनाई जाएगी। 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर की दुखद मौत, जो 9 अगस्त, 2024 को अस्पताल के कॉन्फ्रेंस रूम में बलात्कार और हत्या के बाद हुई थी, ने चिकित्सा समुदाय और जनता को समान रूप से झकझोर कर रख दिया है। 18 जनवरी, 2025 को, सियालदह कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी पाया और उन्हें बीएनएस की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया।
बीएनएस की धारा 64 (बलात्कार) के तहत कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है और यह आजीवन कारावास तक हो सकती है। धारा 66 (पीड़ित की मृत्यु या उसे लगातार अचेत अवस्था में रखने के लिए दंड) में कम से कम 20 वर्ष की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास या मृत्युदंड।
रिपोर्ट के अनुसार, रॉय का बयान सोमवार को दोपहर 12:30 बजे सुना जाएगा और उसके बाद सजा सुनाई जाएगी। बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) में अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है।
आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले का विवरण
यह मामला 31 वर्षीय महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की नृशंस हत्या के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसका शव 9 अगस्त, 2024 को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के एक कॉन्फ्रेंस रूम में मिला था। जांच करने पर पता चला कि डॉक्टर के साथ पहले यौन उत्पीड़न किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना ने चिकित्सा पेशेवरों के बीच व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया, जिसमें डॉक्टरों ने अपने ही एक साथी पर हुए क्रूर हमले पर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
इस मामले की सुनवाई 12 नवंबर, 2024 को बंद दरवाजों के पीछे शुरू हुई। मुकदमे के दौरान 50 गवाहों से पूछताछ की गई और 9 जनवरी, 2025 को कार्यवाही समाप्त हुई। मुख्य आरोपी संजय रॉय को अपराध के ठीक एक दिन बाद, 10 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। पीड़ित के शरीर के पास एक ब्लूटूथ इयरफ़ोन मिलने के बाद अधिकारी रॉय तक पहुँचे। जाँचकर्ताओं ने CCTV फुटेज की जाँच की और देखा कि रॉय अपने गले में एक डिवाइस पहने हुए सेमिनार हॉल में प्रवेश कर रहा था, जो अपराध स्थल पर मिले डिवाइस से मेल खाता था।
सजा के बाद संजय रॉय का बयान
18 जनवरी, 2025 को अपनी सजा के बाद, संजय रॉय ने अपनी बेगुनाही बरकरार रखी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया जा रहा है, उन्होंने कहा, "अगर मैंने अपराध किया होता, तो मेरी रुद्राक्ष माला अपराध स्थल पर पाई जाती।" पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले रॉय ने बलात्कार और हत्या के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि असली अपराधियों पर मुकदमा नहीं चलाया गया। रॉय को सेमिनार हॉल के पास सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका इस अपराध से कोई लेना-देना नहीं है।
इस मामले ने चिकित्सा संस्थानों के भीतर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं और सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर सार्वजनिक आक्रोश पैदा किया है। आज जब सजा सुनाई जाएगी, तो इस मामले के नतीजे का भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
इस मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा है और आज की सजा पीड़िता के लिए न्याय की चल रही कोशिश में एक महत्वपूर्ण अध्याय लिखेगी।