By अनन्या मिश्रा | Dec 27, 2025
आजकल घर में शीशा लगाना सजावट और सुविधा का एक सामान्य हिस्सा हो चुका है। लेकिन वास्तु शास्त्र में शीशे को सिर्फ एक वस्तु नहीं बल्कि ऊर्जा के प्रबल स्त्रोत के रूप में भी देखा जाता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, शीशा अपने आसपास की ऊर्जा को प्रतिबिंबित करके कई गुना बढ़ा देती है। इसलिए अगर घर में सकारात्मक ऊर्जा है तो शीशा उसे बढ़ाएगा और अगर निगेटिव एनर्जी है, तो उसको भी बढ़ा सकता है।
यही वजह है कि घर में शीशों की संख्या, आकार और स्थान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आजकल लोग अपने घरों में एक से ज्यादा शीशे लगाते हैं। ऐसा करना सही है या गलत, यह पूरी तरह से इस पर निर्भर करता है कि यह शीशे किस दिशा और किस तरह से लगाए गए हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में शीशों की संख्या को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। आप चाहें तो एक से अधिक मिरर लगा सकते हैं। लेकिन शीशे की दिशा, प्लेसमेंट और आकार सही होना चाहिए। वहीं अगर शीशा किसी शुभ वस्तु जैसे हरे-भरे पौधे, सुंदर प्राकृतिक तस्वीर या धन की तिजोरी को प्रतिबिंबित कर रहा है, तो जितने ज्यादा संख्या में शीशे होंगे, उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।
वहीं घर में अनावश्यक रूप से अधिक मिरर नहीं लगाने चाहिए। खासकर जब वह एक-दूसरे के आमने-सामने हों, या कमरे में भ्रम पैदा कर रहे हों। वास्तु के मुताबिक शीशे लगाने के लिए उत्तर और पूर्व की दीवारों को सबसे अच्छा माना जाता है। उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में शीशा धन लाभ और समृद्धि को प्रतिबिंबित करके उसको आगे बढ़ाता है।
पूर्व की दिशा स्वास्थ्य और खुशहाली लाने वाली मानी जाती है। वहीं डाइनिंग टेबल के नीचे लगा शीशा भोजन की मात्रा को प्रतिबिंबित करता है। इसको वास्तु शास्त्र में अन्न और सौभाग्य की बरकत बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन बेडरूम में शीशा लगाना अशुभ माना जाता है। खासकर अगर सोते हुए व्यक्ति का मिरर में प्रतिबिंब दिखाई देता हो। इससे वैवाहिक जीवन में तनाव आ सकता है।
इस स्थान से अगर मिरर हटाना संभव न हो, तो रात में उसको कपड़े से ढक देना चाहिए। वहीं वास्तु के मुताबिक घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने मिरर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में प्रवेश करने वाली पॉजिटिव एनर्जी को शीशा तुरंत वापस बाहर की तरफ धकेल देता है। जिस कारण घर में बरकत रुक जाती है। वहीं दो शीशों को एक-दूसरे के सामने भी नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि यह ऊर्जा का एक भंवर बनाता है, जो चिंता और अशांति पैदा करता है।