By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 25, 2020
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने सोमवार को कहा कि असहमति का अधिकार लोकतंत्र के लिए आवश्यक है और कार्यकारिणी, न्यायपालिका, नौकरशाही तथा सशस्त्र बलों की आलोचना को ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि असहमति का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त ‘‘सबसे बड़ा’’ और ‘‘सबसे महत्वपूर्ण अधिकार’’ है और इसमें आलोचना का अधिकार भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘असहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं हो सकता।’’
न्यायमूर्ति गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा ‘‘लोकतंत्र और असहमति’’ पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि सभी को आलोचना के लिए खुला होना चाहिए, और न्यायपालिका आलोचना से ऊपर नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिरीक्षण भी होना चाहिए, जब हम आत्मनिरीक्षण करते हैं, तो हम पाएंगे कि हमारे द्वारा लिए गए कई निर्णयों को ठीक करने की आवश्यकता है।’’
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न्यायमूर्ति गुप्ता ने हालांकि कहा कि असंतोषपूर्ण विचारों को ‘‘शांतिपूर्ण ढंग से’’ व्यक्त किया जाना चाहिए और नागरिकों को जब लगे कि सरकार द्वारा उठाया गया कदम उचित नहीं है तो उन्हें एकजुट होने और विरोध करने का अधिकार है।