By Ankit Jaiswal | Dec 22, 2025
सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हलचल देखने को मिली। कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को तेजी दर्ज की गई, जिसकी बड़ी वजह अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के तट के पास अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर को रोके जाने की कार्रवाई और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा लगातार बना तनाव माना जा रहा है। बता दें कि इन दोनों घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को फिर से हवा दी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ब्रेंट क्रूड वायदा 1.31 डॉलर यानी करीब 2.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) में 1.25 डॉलर या लगभग 2.2 प्रतिशत की तेजी देखी गई और यह 57.77 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता दिखा।
गौरतलब है कि वैश्विक कच्चे तेल की कुल आपूर्ति में वेनेजुएला की हिस्सेदारी करीब 1 प्रतिशत ही है, लेकिन वहां से जुड़ी किसी भी कार्रवाई का मनोवैज्ञानिक असर बाजार पर साफ दिखता है। हालांकि अमेरिका और ओपेक प्लस समूह के देशों से बढ़ती आपूर्ति ने अब तक अन्य क्षेत्रों में संभावित आपूर्ति बाधाओं की चिंताओं को काफी हद तक संतुलित किया है। इसी वजह से 2025 की दूसरी छमाही में ब्रेंट की कीमतें लंबे समय तक 65 डॉलर के आसपास बनी रहीं, लेकिन बीते एक महीने में ओवरसप्लाई की आशंकाओं के चलते दबाव भी देखा गया।
कमोडिटी बाजार पर नजर रखने वाली विश्लेषक जून गोह का कहना है कि सामान्य तौर पर बाजार का रुख भले ही कमजोर बना हुआ हो, लेकिन वेनेजुएला के पास घटनाक्रम और रूस-यूक्रेन तनाव ने तेल कीमतों को सहारा दिया है। बता दें कि अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने वेनेजुएला के नजदीक अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर का पीछा शुरू किया है, जो अगर सफल रहा तो दो हफ्तों से भी कम समय में इस तरह की तीसरी कार्रवाई होगी।
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिबंधित वेनेजुएलाई तेल टैंकरों पर “पूर्ण और सख्त” नाकेबंदी की घोषणा के बाद बाजार में तेजी का माहौल बना है। इसी क्रम में भूमध्य सागर में यूक्रेन के ड्रोन हमले से जुड़े एक रूसी शैडो फ्लीट पोत की खबरों ने भी निवेशकों की चिंताओं को बढ़ाया है।
हालांकि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पिछले सप्ताह ब्रेंट और WTI दोनों में करीब 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस बीच कूटनीतिक मोर्चे पर अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने बताया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के प्रयासों के तहत अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच हालिया बातचीत में आपसी रुख को करीब लाने पर जोर दिया गया है।
हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शीर्ष विदेश नीति सलाहकार का कहना है कि यूरोपीय देशों और यूक्रेन द्वारा अमेरिकी प्रस्तावों में किए गए बदलावों से शांति की संभावनाएं फिलहाल बेहतर नहीं हुई हैं, जिससे भू-राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है और तेल बाजार पर इसका असर आगे भी देखने को मिल सकता है।