By अनन्या मिश्रा | Oct 10, 2025
भारत के मशहूर लेखक आर के नारायण का 10 अक्तूबर को जन्म हुआ था। आर के नारायण ने हमें ऐसा टीवी सीरियल दिया था, जिसको देखने के लिए लोगों ने टीवी तक का जुगाड़ किया था। बता दें कि आर के नारायण ने 80-90 के दशक में जन्में बच्चों को टीवी सीरियल की सहायता से एक कमाल का बचपन दिया था। जिनको हम सभी कभी नहीं भूल पाएंगे। 'मालगुडी डेज' आरके नारायण की किताब 'मालगुडी डेज' पर आधारित था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आर के नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
मद्रास में 10 अक्तूबर 1906 को आर के नारायण का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी था। उनके पिता एक अध्यापक थे। शिक्षक के घर में जन्म लेने के कारण उनके घर में हमेशा पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहा था। आर के नारायण का अधिकतर समय मैसूर में पढ़ाई करते हुए बिताया। उन्होंने पत्रकारिता और लेखन को भी अधिक समय दिया था।
आर के नारायण का जीवन एकांत और सरल रहा। उन्होंने अपने लेखन कार्य में अपना बहुत समय दिया था। मालगुडी डेज सीरियर की कहानी आर के नारायण ने लिखा था। वहीं इसके रेखाचित्र उनके भाई कार्टूनिस्ट आर के लक्षम्ण ने तैयार किया था। आर के नारायण और आर के लक्ष्मण दोनों भाइयों के पास सोच और लगन थी और पत्रकारिता में बड़ा नाम भी था।
अंग्रेजी के प्रख्यात लेखर ग्राहम ग्रीन ने आर के नारायण की पहली चार किताबों के लिए प्रकाशक ढूंढे थे। उन्होंने 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' लिखने के बाद इसको अपने एक दोस्त के जरिए कई प्रकाशकों को भेजा, लेकिन यह किसी को पसंद नहीं आई। ऐसे में परेशान होकर नारायण ने अपने दोस्त से कहा कि वह 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' की पांडुलिपी को नदी में डुबो दें। लेकिन उनके दोस्त ने एक और चांस लिया और पांडुलिपी को ग्राहम ग्रीन तक पहुंचा दिया। जब ग्राहम ने इस उपन्यास को पढ़ा तो इसकी शैली पर वह मुग्ध हो गए।
जिसके बाद 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' उपन्यास प्रकाशित हुआ और देश-विदेश में काफी ज्यादा लोकप्रिय भी हुआ। इसके बाद आर के नारायण ने मानवीय संबंधों पर एक से बढ़कर एक कई रचनाएं थीं। वहीं फेमस उपन्यास 'गाइड' के लेखक थे। इसकी कहानी पर 'कालजयी' नामक फिल्म बनी है। इस उपन्यास के लिए आर के नारायण को 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से नवाजा गया था।
आर के नारायण के साहित्य योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उनको 'पद्मभूषण' और 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया था। फिर साल 1989 में आर के नारायण को राज्यसभा का मानद सदस्य बनाया गया। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से आर के नारायण को डॉक्टरेट की मानद उपाधियां प्रदान की गई थीं। वह कई बार साहित्य नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित हुए, हालांकि वह कभी इसे प्राप्त नहीं कर सके।
आर के नारायण की प्रसिद्ध कृतियों में वेटिंग फॉर द महात्मा, द इंग्लिश टीचर, द मैन ईटर ऑफ मालगुडी, द गाइड, द वेंडर ऑफ स्वीट्स और अ टाइगर फॉर मालगुडी शामिल हैं। इसके अलावा अ हॉर्स एंड गोट्स एंड द अदर स्टोरीज, लॉली रोड, अंडर द बैनियन ट्री एंड अदर स्टोरीज शामिल हैं।
वहीं 13 मई 2001 को 94 साल की उम्र में आर के नारायण का निधन हो गया।