By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 11, 2018
कोच्चि। सबरीमला मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर नाटक करने का आरोप लगाते हुए केरल के देवस्वम मंत्री के सुरेंद्रन ने दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक के नेताओं ने भगवान अय्यप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मसले को लेकर 12 साल पहले उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। मंत्री ने भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पंडालम से तिरूवनंतपुरम के पांच दिन के मार्च की बराबरी भगवा पार्टी की ओर से अतीत में आयोजित की गयी अयोध्या रथयात्रा से की।
केरल सरकार द्वारा सबरीमला मंदिर मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने की त्वरित कारवाई के विरोध के बीच सुरेंद्रन का यह बयान आया है। उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने को कहा है। राजधानी तिरूवनंतपुरम में युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सुरेंद्रन के आवास तक गुरूवार को मार्च निकाला जो बाद में हिंसक हो गया, इस पर पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले छोड़े।
परेशानी की शुरूआत तब हुई जब कार्यकर्ताओं ने मंत्री के घर से कुछ दुरी पर रखे पुलिस अवरोधों को तोड़ने का प्रयास किया। बुधवार को शुरू किये गए भारतीय जनता पार्टी की ‘सबरीमला बचाओ यात्रा’ पर निशाना साधते हुए सुरेंद्रन ने कहा, ‘लंबा मार्च हमें भाजपा की पुरानी रथयात्रा की याद दिलाता है।’ मंत्री ने दावा किया, ‘सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश संबंधी मामले को लेकर संघ नेताओं ने 12 साल पहले उच्चतम न्यायालय का रूख किया था।’
उन्होंने कहा कि अब इस मामले में लोगों को भ्रमित कर संघ परिवार राजनीतिक फायदा उठाना चाह रहा है। विभिन्न संगठनों की ओर से दायर समीक्षा याचिका पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से शांत रहने की अपील की। मंत्री ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क जाम करना भगवान अय्यप्पा की इच्छाओ के खिलाफ है।
सबरीमला मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के केरल सरकार के फैसले के विरोध में बुधवार को विभिन्न हिंदू संगठनों ने रैली निकली, मार्च किया और सड़क जाम कर दी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पी एस श्रीधरन पिल्लई ने प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वाम मोर्चा सरकार हिंदुओं को विभाजित कर आंदोलन को ‘कमजोर’ करना चाहती है।
कांग्रेस, भाजपा के अलावा विभिन्न हिंदू संगठनों ने सबरीमला मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकर से समीक्षा याचिका दायर करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, वाम सरकार ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को अपने फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी थी।