By अभिनय आकाश | Dec 23, 2025
जब पूरी दुनिया ने भारत से मुंह मोड़ लिया था तब एक देश था जो भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा था रूस वो भी साल 1971 में। भारत रूस की यह दोस्ती कोई आज की नहीं यह दोस्ती युद्ध के मैदान से लेकर कूटनीति तक हर मुश्किल वक्त में परखी गई है और आज जब भारत और बांग्लादेश के रिश्ते अपने सबसे नाजुक दौर से गुजर रहे हैं तब एक बार फिर रूस ने एंट्री लेकर पूरी बाजी पलट दी है। बांग्लादेश में लगातार बढ़ती हिंसा भारत विरोधी नारे और कट्टरपंथी संगठनों की खुली गुंडागर्दी के बीच अब रूस की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है।
बांग्लादेश में रूस के राजदूत एलेक्जेंडर ग्रेगो रिविजच खोजन ने सीधे तौर पर ढाका को संदेश दिया कि भारत के साथ तनाव कम करो रिश्ते बिगड़ने मत दो जितनी जल्दी हो उतना बेहतर होगा और यह बयान ऐसे वक्त पर आया जब यूनुस सरकार पहले से ही दबाव में है। उन्होंने कहा भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव मौजूदा स्तर से आगे नहीं बढ़ना चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर बताया कि रूस दोनों देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे रहा। लेकिन एक दोस्त होने के नाते इतना कहना जरूरी है कि समाधान बातचीत से निकालना चाहिए ना कि टकराव से। रूस ने सिर्फ बयान नहीं दिया बल्कि इतिहास भी याद दिलाया। रूसी राजदूत ने आगे कहा कि 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भारत की भूमिका सबसे बड़ी थी। रूस भी उस वक्त भारत के साथ खड़ा था।
पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने भारत के खिलाफ भी अपना गुस्सा जाहिर किया। ताजा प्रदर्शनों के बीच, बांग्लादेश के मयमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति, दीपू चंद्र दास की हत्या कर दी गई। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने चटगांव में भारत के सहायक उच्चायोग पर धावा बोलने की कोशिश की। इसके बाद भारत ने इस मिशन में अपनी वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं। भारत ने बांग्लादेश के राजनयिक रियाज हामिदुल्लाह को तलब किया और ढाका में भारतीय मिशन के आसपास असुरक्षा का माहौल पैदा करने की योजना बना रहे कुछ चरमपंथी तत्वों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी।
1971 का गवाह है। कट्टरपंथ को खुलकर सपोर्ट नहीं करता। यानी रूस का यह बयान यूनुस सरकार के लिए डिप्लोमेटिक चेतावनी है। अब बांग्लादेश में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। उस्मान हादी की मौत, सड़क पर आगजनी, भारत विरोधी नारे और सरकार को खुले अल्टीमेटम। इससे साफ है कि बांग्लादेश धीरे-धीरे अराजकता की ओर आगे बढ़ा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, हिंसा यूनुस सरकार की वजह से हुई है। कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई। अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा।