कमजोर टीमों के मुकाबले में सऊदी अरब पर जीत दर्ज करने उतरेगा रूस

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 13, 2018

मास्को। पिछले कुछ समय से लगातार लचर प्रदर्शन करने, डोपिंग के साये में जीने और फीफा विश्व कप 2018 की सबसे कम रैंकिंग वाली टीम होने के बावजूद मेजबान रूस जब अपनी सरजमीं पर फुटबाल महासमर में उतरेगा तो उसका लक्ष्य एक अन्य कमजोर टीम सऊदी अरब पर जीत दर्ज करके सकारात्मक शुरूआत करना होगा। मेजबान होने के कारण रूस को विश्व कप में स्वत: ही जगह मिल गयी थी लेकिन फीफा की ताजा विश्व रैंकिंग में वह 70वें स्थान पर है जो टूर्नामेंट में भाग ले रही सभी 32 टीमों में से सबसे कम है। सऊदी अरब 67वें स्थान पर है वह विश्व कप के लिये क्वालीफाई करने वाली 31 टीमों में सबसे कम रैंकिंग वाली टीम है। सऊदी अरब विश्व कप का उदघाटन मैच खेलने वाली एशिया की पहली टीम भी बन जाएगी। रूस और सऊदी अरब लुजनिकी स्टेडियम में आमने सामने होंगे जहां 15 जुलाई को फाइनल भी खेला जाएगा। रूस ग्रुप ए से नाकआउट में पहुंचने और ग्रुप चरण से बाहर होने वाला दूसरा मेजबान बनने से बचने के लिये इस मैच में अपनी जीजान लगा देगा जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के दर्शक दीर्घा में मौजूद रहने की संभावना है। इससे पहले केवल दक्षिण अफ्रीका ही 2010 में ऐसी मेजबान टीम थी जो ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पायी थी। 

स्टेनिसलाव चेरचेसोव के कोचिंग वाली रूसी टीम का हालिया प्रदर्शन हालांकि अच्छा नहीं रहा। उसे टूर्नामेंट से पहले चारों मैत्री मैचों में से किसी में भी जीत नहीं मिली। असल में रूस ने अपनी आखिरी जीत पिछले साल अक्तूबर में दर्ज की थी जब उसने दक्षिण कोरिया को अपनी सरजमीं पर 4-2 से हराया था। यही नहीं इससे पहले 2016 यूरो कप और 2017 फीफा कन्फेडरेशन कप में भी वह ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाया था। लेकिन ग्रुप ए में मिस्र और उरूग्वे के रूप में दो अन्य मजबूत टीमें हैं और ऐसे में रूस अच्छी तरह से जानता है कि सऊदी अरब पर जीत हासिल करना कितना महत्वपूर्ण है। उसे जहां अपने घरेलू दर्शकों का समर्थन मिलेगा वहीं पर उस पर दबाव भी होगा। फारवर्ड अलेक्सांद्र कोकोरिन तथा डिफेंडर ग्रेगरी डिजिकिया और विक्टर वासिन के इस साल के शुरू में चोटिल होने से रूस की विश्व कप तैयारियां प्रभावित हुई थे। इस कारण चेरचेसोव को पिछले महीने आस्ट्रिया के खिलाफ उन्हें रक्षापंक्ति में तीन के बजाय चार खिलाड़ी रखने पड़े थे। इसके बावजूद टीम यह मैच हार गयी थी। सऊदी अरब भले ही फीफा विश्व रैंकिंग में रूस से तीन पायदान ही ऊपर है लेकिन उसे आसान प्रतिद्वंद्वी नहीं माना जा सकता है। ग्रीन फाल्कन के नाम से भी मशहूर सऊदी अरब की टीम विश्व चैंपियन जर्मनी को मैत्री मैच में कड़ी चुनौती देने तथा इससे पहले दो यूनान और अल्जीरिया पर जीत दर्ज करने से उत्साह से भरी है। सऊदी अरब के फारवर्ड अपनी तेजी के लिये जाने जाते हैं। रूस के रक्षक थोड़े धीमे हैं और ऐसे में सर्गेई इगनाशेविच जैसे खिलाड़ियों को सऊदी अरब की तेजी से निबटने के लिये संघर्ष करना पड़ सकता है। इसके बावजूद इस मैच में रूस को जीत का दावेदार माना जा रहा है लेकिन यह इस पर भी निर्भर करता है कि वह दबाव को कैसे झेलता है। रूसी टीम दबाव में रहेगी। इस साल एक भी मैच नहीं जीत पाने और पिछले साल कन्फेडरेशन कप का निराशाजनक प्रदर्शन उनके दिमाग में रहेगा। ऐसी स्थिति में चेरचेसोव खिलाड़ियों की वर्तमान फार्म को ध्यान में रखकर शुरूआती एकादश का चयन करेंगे। वह शुरू में 4-2-3-1 के प्रारूप के साथ उतर सकते हैं।

 

रूस को अगर जीत से शुरूआत करनी है तो उसके स्ट्राइकर फेडोर समोलोव को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। उन्होंने पिछले साल कन्फेडरेशन कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम को जीत दिलायी थी। सऊदी अरब के कोच जुआन एंटोनियो पिज्जी ने सात महीने पहले ही अपनी जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने अपने मुख्य स्ट्राइकर मोहम्मद अल साहलवी को मैत्री मैचों में बाहर रखा था लेकिन कल वह उन्हें शुरूआती एकादश में रख सकते हैं। इस मैच को दो अलग तरह की शैलियों को पसंद करने वाले कोच के बीच मुकाबले के रूप में भी देखा जा रहा है। सऊदी अरब के कोच पिज्जी अपने प्रतिद्वंद्वी पर लगातार दबाव बनाने की रणनीति में माहिर है जिसके दम पर उन्होंने चिली को 2016 में कोपा अमेरिका कप का खिताब दिलाया था। रूसी कोच चेरचेसोव का रक्षात्मक रवैया अपनाते हैं। रूस की टीम में कप्तान और गोलकीपर इगोर अकीनफीव (105 मैच) और 38 वर्षीय डिफेंडर सर्गेई इगनाशेविच (121 मैच) सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं जबकि सऊदी अरब की टीम में ओसमा हवासावी हैं जो अब तक 135 मैच खेल चुके हैं। उनके अलावा मिडफील्डर तैसीर अल जासिम के नाम पर 132 मैच दर्ज हैं।।इन दोनों टीमों के बीच इससे पहले केवल एक मैच खेला गया है। यह मैत्री मैच 1993 में खेला गया था जिसमें सऊदी अरब ने रूस को 4-3 से हराया था।

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