By नीरज कुमार दुबे | Jun 27, 2025
रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 त्रिउम्फ मिसाइल प्रणाली की बची हुई दो स्क्वाड्रनों की डिलीवरी 2026-27 तक कर देगा। हम आपको बता दें कि रूस में बने इस एअर डिफेंस सिस्टम ने पिछले महीने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की चौथी और पांचवीं स्क्वाड्रनों की डिलीवरी में काफी देरी हो रही है। चीन के चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रे बेलोउसॉव के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई तो यह मुद्दा उठा। हम आपको बता दें कि रूस के साथ 2018 में किए गए 5.43 बिलियन डॉलर (लगभग ₹40,000 करोड़) के अनुबंध के तहत भारत को सभी पांच स्क्वाड्रन 2023 के अंत तक मिलने थे। हम आपको बता दें कि हर एस-400 स्क्वाड्रन में दो मिसाइल बैटरियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक में 128 मिसाइलें होती हैं। ये 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकती हैं। इनके साथ लॉन्ग-रेंज रडार और ऑल-टेरेन ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर व्हीकल्स भी होते हैं।
भारतीय वायुसेना (IAF) ने पहली तीन स्क्वाड्रनों को उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में तैनात किया है, ताकि चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटा जा सके। बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रूस ने के रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि चौथी स्क्वाड्रन अगले साल मिल जायेगी और पांचवीं 2027 में भारत आयेगी।
हम आपको याद दिला दें कि 7 से 10 मई तक चले सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने आदमपुर एयरबेस पर सफलतापूर्वक बमबारी की और वहां तैनात एक एस-400 बैटरी को नष्ट कर दिया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 मई को उस एयरबेस का दौरा किया और एस-400 सिस्टम के ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर व्हीकल के साथ पृष्ठभूमि में फोटो खिंचवाकर इस दावे को खारिज कर दिया। हम आपको बता दें कि एस-400 बैटरियाँ 380 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के रणनीतिक बमवर्षकों, जेट विमानों, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को पहचान कर नष्ट कर सकती हैं। यह भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली की एक मजबूत कड़ी हैं और वायुसेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि अपनी ओर से, DRDO भी एक 350 किलोमीटर इंटरसेप्शन रेंज वाली वायु रक्षा प्रणाली ‘प्रोजेक्ट कुशा’ के तहत विकसित कर रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2023 में IAF के लिए इसकी पांच स्क्वाड्रनों की खरीद के लिए ₹21,700 करोड़ की "आवश्यकता की स्वीकृति" को मंजूरी दी थी। भारत इस प्रणाली को 2028-2029 तक संचालन में लाने की योजना बना रहा है।
जहां तक भारत-रूस के रक्षा मंत्रियों की बैठक में उठे अन्य मुद्दों की बात है तो आपको बता दें कि इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और द्विपक्षीय रक्षा तथा रणनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया। राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बातचीत को ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने पर ज्ञानवर्धक विचार-विमर्श किया।’’ राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद से भारत को चुनौती के मुद्दे पर भी रूसी मंत्री से बात की। माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने एक जुलाई को रूस के तटीय शहर कलिनिनग्राद में भारतीय नौसेना की रूस निर्मित गाइडेड मिसाइल पनडुब्बी ‘आईएनएस तमाल’ के आगामी जलावतरण पर भी चर्चा की। बताया जा रहा है कि जलावतरण समारोह की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह करेंगे।