By Neha Mehta | Aug 05, 2025
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बदलते परिप्रेक्ष्य में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने रूस से क्रूड तेल आयात करने के कारण भारत पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी दी है, भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है। जैसे-जैसे वैश्विक गतिशीलताएँ बदल रही हैं, ऐसे शुल्कों के प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आवश्यकताओं पर दूरगामी असर डाल सकते हैं।
ट्रंप का यह बयान रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के संदर्भ में आया है। भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से रूस से क्रूड तेल खरीद रहा है, को निशाना बनाकर, ट्रंप वैश्विक ऊर्जा बाजारों को प्रभावित करने और देशों को अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों के साथ जोड़ने के लिए व्यापार नीति का उपयोग कर रहे हैं।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव
भारत का तेल आयात पर निर्भरता काफी बड़ी है, जिसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा रूस से आता है। प्रस्तावित शुल्क भारत के रिफाइनरियों के लिए लागत बढ़ा सकते हैं, जिससे उन्हें कच्चे तेल के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है, जो संभवतः अधिक कीमतों पर होंगे। यह परिदृश्य भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता है, क्योंकि देश अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक रिश्तों के साथ संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
जैसे-जैसे ट्रंप की शुल्क धमकियाँ सामने आ रही हैं, भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जटिलताओं को समझते हुए अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। इन व्यापार वार्ताओं का परिणाम न केवल भारत के ऊर्जा परिदृश्य को आकार देगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका को भी पुनः परिभाषित कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की गतिशीलताएँ निरंतर बदल रही हैं। भारत के लिए, इन परिवर्तनों के साथ अनुकूलन करते हुए अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की रक्षा करना आने वाले महीनों में महत्वपूर्ण होगा। इन शुल्कों के आसपास हो रहे घटनाक्रमों पर नजर रखना विश्लेषकों और नीति निर्माताओं के लिए जरूरी होगा।