By अनन्या मिश्रा | Nov 28, 2025
आज ही के दिन यानी की 28 नवंबर को मुंबई हमले में आतंकियों से लोहा लेते समय संदीप उन्नीकृष्णन की मृत्यु हो गई थी। संदीप भारतीय सेना में एक मेजर थे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स के कुलीन विशेष कार्य समूह में काम किया था। नवंबर 2008 में मुंबई के हमलों में आतंकवादियों से लड़ते हुए संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गए थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
केरल के कोझिकोड में 15 मार्च 1977 को संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम के. उन्नीकृष्णन थे, जोकि एक इसरो अधिकारी थे। वहीं उनकी मां का नाम धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन था। संदीप उन्नीकृष्णन ने छोटी उम्र में सशस्त्र बलों में शामिल होने का मन बना लिया था। ऐसे में उन्होंने शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1995 में विज्ञान विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की। वह विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। संदीप को फिल्में देखने का बहुत शौक था।
साल 1995 में संदीप ने एनडीए में एडमिशन लिया। फिर चार सालों बाद संदीप को वह करने का मौका मिला, जिसका सपना हर एक सैनिक देखता है। बता दें कि साल 1999 में कारगिल युद्ध में संदीप उन्नीकृष्णन को युद्ध करने का मौका मिला। वहीं साल 2007 में संदीप उन्नीकृष्णन को NSG के स्पेशल सेक्शन ग्रुप में शामिल किया। संदीप निडर होने के साथ ही बहादुर भी थे। वह कभी भी मुश्किल हालात में पीछे नहीं हटते थे।
ऑपरेशन विजय
ऑपरेशन पराक्रम
ऑपरेशन रक्षक
विरोधी-बंडखोरी
ऑपरेशन ब्लॅक टॉर्नेडो
साल 1999 के बाद संदीप उन्नीकृष्णन भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरे बड़े सैन्य गतिरोध ऑपरेशन पराक्रम का भी हिस्सा थे। वहीं 26 नवंबर 2008 की रात को दक्षिण मुंबई की कई प्रतिष्ठित इमारतों पर पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा हमला किया गया था। आतंकियों ने पुराना ताजमहल पैलेस होटल में बंधकों को रखा था। उन बंधकों को छुड़ाने के लिए संदीप उन्नीकृष्णन होटल में तैनात 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (51 SAG) के टीम कमांडर थे। संदीप 10 कमांडो के साथ ताज होटल पहुंचे और सीढ़ियों के सहारे छठी मंजिल पर पहुंचे।
अगले 15 घंटों तक मेजर संदीर और उनकी टीम बंधकों को बाहर निकालने में लगी रही। वहीं 27 नवंबर की रात संदीप उन्नीकृष्णन और उनकी टीम ने ऊपर जाने का फैसला किया। जोकि काफी खतरनाक था। लेकिन संदीप यह जोखिम लेने को तैयार थे। क्योंकि अन्य बंधकों को आतंकवादियों से छुड़ाने का यही तरीका था। वहीं जैसे ही आतंकियों ने सेंट्रल सीढ़ियों से कमांडो को ऊपर आते देखा, तो उन्होंने एनएसजी टीम पर पहली मंजिल से हमला कर दिया।
इस हमले में कमांडो सुनील कुमार जोधा गंभीर रूप से घायल हो हुए। इस दौरान आतंकी अगली मंजिल पर भागने की कोशिश करने लगे। यह देखकर संदीप उन्नीकृष्णन ने आतंकवादियों का पीछा करने का फैसला किया। जिसके बाद आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में संदीप उन्नीकृष्णन बुरी तरह घायल हो गए। वहीं 28 नवंबर 2008 को संदीप उन्नीकृष्णन की मृत्यु हो गई।
अशोक चक्र
ऑपरेशन पराक्रम पदक
विशेष सेवा पदक
सैन्य सेवा पदक
उच्च उंची सेवा पदक
9 वर्षे दीर्घ सेवा पदक