CWG 2018: वेटलिफ्टिंग में सतीश कुमार शिवलिंगम ने जीता स्वर्ण पदक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 07, 2018

गोल्ड कोस्ट। मौजूदा चैंपियन भारोत्तोलक सतीश शिवालिंगम(77 किग्रा) ने जांघ में दर्द के बावजूद21 वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को यहां तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया। सतीश ने कुल317 किग्रा(144 किग्रा+173 किग्रा) भार उठाया तथा वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से इतने आगे हो गये कि क्लीन एवं जर्क में अपने आखिरी प्रयास के लिये नहीं गये। सतीश ने पदक वितरण समारोह के बाद कहा, ‘राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लीन एवं जर्क में194 किग्रा भार उठाने के प्रयास में मेरी जांघ में चोट लग गयी थी और मुझे यहां पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी। यह मांसपेशियों से जुड़ी समस्या है। मैं अब भी पूरी तरह फिट नहीं था लेकिन मुझे खुशी है कि मैं तब भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा।’

तमिलनाडु के इस भारोत्तोलक ने कहा, ‘मेरी जांघ में इतना दर्द हो रहा था कि मेरे लिये बैठना भी मुश्किल था। सभी मेरा ध्यान रख रहे थे जिससे मेरी उम्मीद बंधी लेकिन मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था। मैंने कड़ा अभ्यास नहीं किया था और मेरा शरीर अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं था, इसलिए मैं स्वर्ण पदक की उम्मीद कैसे कर सकता था।’ स्नैच में सतीश और इंग्लैंड के रजत पदक विजेता जैक ओलिवर के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला।

इन दोनों ने अपने अगले प्रयास में ज्यादा वजन उठाया। ओलिवर आखिर में स्नैच में आगे रहने में सफल रहे क्योंकि उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 145 किग्रा भार उठाया था। आखिर में हालांकि सतीश क्लीन एवं जर्क में बेहतर प्रदर्शन करके अपना खिताब बचाने में सफल रहे। ओलिवर171 किग्रा के दोनों प्रयास में नाकाम रहे और उन्हें इस तरह से 312 किग्रा(145 किग्रा+167 किग्रा) के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा। आस्ट्रेलिया के फ्रैंकोइस इतोंडी ने305 किग्रा(136 किग्रा+169 किग्रा) भार उठाकर कांस्य पदक हासिल किया।

सतीश ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली रहा। अगर वह( ओलिवर) उन दो प्रयास में नाकाम नहीं रहता तो फिर मुझे उससे अधिक भार उठाना पड़ता और मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि मेरा शरीर उसकी इजाजत देता या नहीं। मैं वास्तव में काफी राहत महसूस कर रहा हूं।’ सतीश ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में स्नैच में149 और क्लीन एवं जर्क में179 किग्रा सहित कुल328 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता। उनका स्नैच में 149 किग्रा भार अब भी खेलों का रिकार्ड है।

उन्होंने कहा, ‘मैं उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि मुझे अब भी रिहैबिलिटेशन की जरूरत है। यहां तक कि फिजियो नहीं होने से स्थिति और मुश्किल बन गयी। उम्मीद है कि एशियाई खेलों में हमारे साथ फिजियो रहेगा।’ प्रतियोगिता स्थल पर फिजियो नहीं होने के कारण भारोत्तोलकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सतीश राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के मौजूदा स्वर्ण पदक विजेता भी हैं। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि मैं एशियाई खेलों में इससे भी बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहूंगा क्योंकि उसमें अभी समय है। इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों के20-25 दिन बाद एशियाई खेल हो जाते थे जिससे हमें तैयारी के लिये पर्याप्त समय नहीं मिल पाता था लेकिन इस बार मेरे पास पूरी तरह फिट होने और तैयारियों के लिये पर्याप्त समय है।’

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