नकली पायलेट, नकली देश (व्यंग्य)

By विजय कुमार | Jul 09, 2020

पत्रकार कहते हैं कि कई बार खबरें महत्वपूर्ण होती हैं, तो कई बार खबरों के पीछे छिपी बातें। यानि खबर वह नहीं है जो बताई गयी है। खबर वह है जो छिपाई गयी है। कई बड़े पत्रकारों के स्तम्भों के नाम हैं- आरपार, पर्दे के पीछे, अंदर की बातें, बिटविन दि लाइन्स, खबरों के पार.. आदि। उनमें कुछ ऐसी ही बातें होती हैं।

यों तो हमारे शर्माजी का पत्रकारिता जगत से दूर-दूर का कोई रिश्ता नहीं है; पर अखबार वे रोज पढ़ते हैं। एक अखबार वे खुद मंगाते हैं और तीन-चार आसपास जाकर बांच लेते हैं। राशिफल और वर्ग पहेली उनके प्रिय विषय हैं। फालतू समय हो, तो वे ऐसे विषय भी पढ़ लेते हैं, जिनसे उनका कुछ लेना-देना नहीं रहता। जैसे घर की सफाई, फुलवारी, नये व्यंजन, कुत्ते की देखभाल, खटमलों से बचाव, बच्चों की पढ़ाई आदि; पर कभी-कभी उनकी निगाह ऐसी महत्वपूर्ण खबरों पर पड़ जाती है, जिन्हें बाकी लोग बाइपास कर आगे बढ़ जाते हैं।

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कल मैं सुबह की चाय पी रहा था कि वे आ टपके। उनके हाथ में एक बासी अखबार था। उसकी एक खबर को उन्होंने मोटी लाइनों से घेर रखा था। उसे ही वे मुझे दिखाने लगे।

-लो वर्मा देखो। पाकिस्तान में कैसा गजब हो रहा है ?

-शर्माजी, सुबह-सुबह लोग भगवान का नाम लेते हैं, पाकिस्तान का नहीं। पता नहीं आज का पूरा दिन कैसा बीतेगा ? सुबह की चाय तो मिल गयी, शाम का अब भरोसा नहीं रहा।

-बेकार की बात मत करो, ये खबर पढ़ो। इसमें छपा है कि कराची में हुई एक यात्री विमान की दुर्घटना से पाकिस्तान में हलचल मच गयी है। उसमें 97 यात्री मारे गये, जिनमें पांच सैन्य अधिकारी भी थे।

-हलचल का कारण ये नहीं है। असल में इन्सान की तो वहां कोई कीमत है नहीं; पर सेना के अफसरों से मंत्री क्या, प्रधानमंत्री तक डरते हैं। इसलिए हलचल आम यात्रियों के नहीं, पांच सैन्य अधिकारियों के मरने से है।

-आगे की बात वहां के एक मंत्री ने कही है कि हमारे यहां 30 प्रतिशत पायलेट नकली लाइसेंस वाले हैं।

-हां, ये असली बात है; पर इसमें खास कुछ नहीं है।

-तुम कैसे आदमी हो वर्मा। हवाई जहाज चलाने वाले का लाइसेंस नकली हो, तो सब यात्रियों की जिंदगी खतरे में रहेगी। मैं तो ऐसे विमान में बैठने से पहले सौ बार सोचूंगा।

-शर्माजी, आप भले ही सोचें; पर वहां के लोग नहीं सोचते। क्योंकि नकली देश में नकली पायलेट विमान उड़ायें, तो कोई बड़ी बात नहीं है।

-मैं समझा नहीं।

मैंने शर्माजी के लिए भी एक कप चाय मंगायी, जिससे उनकी समझदानी कुछ गरम हो सके।

-शर्माजी, पाकिस्तान एक नकली देश है। 1947 में अंग्रेजों, मुस्लिम लीगियों और कांग्रेस के कुछ नेताओं की मिलीभगत से वह बना; लेकिन नकली होने के कारण 25 साल में ही उसके दो टुकड़े हो गये। अब बाकी बचा देश उन कागजों की तरह है, जो पेपरवेट के कारण टिके हुए हैं। उसके हटते ही सब कागज बिखर जाएंगे।

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-तो ये पेपरवेट क्या हैं ?

-पाकिस्तान को अल्लाह, अमरीका, आर्मी और आतंकवादी चलाते हैं। अब चीन भी इस सूची में जुड़ गया है। ये पेपरवेट ही तो हैं। इनके हटते ही वह पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गिलगित, बालटिस्तान, कश्मीर आदि टुकड़ों में बंट जाएगा।

-मैं ऐसा नहीं मानता।

-आपको मानने या न मानने का पूरा हक है; पर ये बताइए कि वहां कितने प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल और स्वाभाविक जीवन पूरा कर सके हैं ? जेल, हत्या और निर्वासन वहां आम बात है। सत्ता बदलते ही इनके पात्र बदल जाते हैं। कई बार तो वहां संविधान ही बदल चुका है। ऐसा देश नकली नहीं तो और क्या है ?

-लेकिन नकली लाइसेंस लेकर यात्री विमान उड़ाना तो बहुत खतरनाक है वर्मा ?

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-शर्माजी आप कैसी बातें कर रहे हैं ? जब नकली प्रधानमंत्री वहां देश चला रहे हैं, तो यात्री विमान क्या चीज है ? इसलिए वहां जैसा है, उसे चलने दीजिए। आप तो चीन से चंदा लेने वाले उन नकली नेताजी की चिन्ता करें, जिनके कारण आपकी पार्टी लगातार रसातल में जा रही है। 

मैंने अन्जाने में ही शर्माजी की दुखती रग को छेड़ दिया। इससे वे उखड़ गये। कप की चाय वैसे ही छोड़कर उन्होंने अखबार उठाया और लाल-लाल आंखों से मुझे घूरते हुए लौट गये।

-विजय कुमार, देहरादून

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