By अभिनय आकाश | Dec 20, 2025
यह कहानी डोनाल्ड ट्रंप के किसी सेक्स स्कैंडल की नहीं है। यह कहानी उस पावर स्कैंडल की है जो धोखे, ब्लैकमेल और बच्चियों की यौन शोषण की उस गंदी और डरावनी दुनिया से जुड़ा है। जहां पर राष्ट्रपति, उद्योगपति, नामीगिनामी सेलिब्रिटीज, कलाकार और बड़े बिजनेसमैन, ताकतवर लोग शामिल बताए जाते हैं। यह डोन्ड ट्रंप का वह पावर स्कैंडल है जिसे महीनों तक टालने, दबाने, रोकने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने एड़ी चोटी का जोर लगा लिया। क्योंकि जवानी के दिनों में किए गए कांड की शर्मिंदगीगी से ज्यादा उनकी कुर्सी हिलने और उनके चरित्र के बुरी तरह एक्सपोज होने का मामला था। सेक्स स्कैंडल केवल बदनामी लाता है। लेकिन पावर स्कैंडल सिस्टम को बेनकाब करता है। जेफरी एपस्टीन ये शख्स वैसे तो कब्र में दफन हो चुका है पर एपस्टीन के कारनामे उसे हर दो-चार महीनों में कब्र से बाहर खींची लाते हैं। फिर एक बार अमेरिका की हाउस ओवरसाइड कमेटी के डेमोक्रेट्स ने एप्सन से जुड़ी फोटोस रिलीज़ की है। फोटो में अमेरिका के कई बड़े नाम बिल गेट्स, वडी एलन, डेविड ब्रुक्स साथ ही हैं कुछ मैसेजेस जिनमें एक लड़की को $000 पर बेचने की बात कही गई है। खास बात यह है कि ट्रंप प्रशासन 19 दिसंबर को पूरीन फाइल्स रिलीज़ करने वाला था। अब तक फाइल्स को रिलीज़ करने को लेकर कोई भी अपडेट सामने नहीं आया है।
एस्टीन वो कन्विक्टेड सेक्स ऑफेंडर था जिसने न्यूयॉर्क की जेल में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। इसके बाद डेमोक्रेट्स की ओवरसाइड कमेटी ने एप्सन के स्टेट से 95,000 से ज्यादा फोटो सीज की। इन्हीं फोटो को समय-समय पर रिलीज कर दिया जाता है। अब की बार रिलीज हुई 68 फोटो में कई नामी चेहरे हैं। फोटो में माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स की एक फोटो है। जहां वो एक औरत के साथ पोज़ दे रहे हैं। लेकिन उस औरत का फेस ब्लर कर दिया गया है। फिर फोटो आया है नोआम चोमस्की का। फेमस अमेरिकन फिलॉसफर। उनकी एप्सन के साथ प्लेन में बैठे हुए एक फोटो है और पहले भी कई रिपोर्ट्स आई थी कि गेट्स और चम्स के एपस्टीन को जानते थे। गेट्स ने तब कहा था कि एपस्टीन से मिलना उनकी सबसे बड़ी मिस्टेक थी और इसके अलावा अमेरिकन डायरेक्टर वडी एलन ट्रंप के पुराने एडवाइजर जो रहे हैं स्टीव बेनन की भी कई फोटो सामने आई हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए कॉलम लिखने वाले डेविड ब्रुक्स भी इस फहरिस्त में शामिल हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के स्पोक्सपर्सन ने ही गार्डियन को स्टेटमेंट दिया है कि ब्रुक्स एक जर्नलिस्ट हैं और अक्सर इवेंट्स में जाते रहते हैं बिजनेसमैनस के लिए और लीडर से बात करने के लिए और ये फोटो 2011 के डिनर की थी जहां बहुत सारे लोग थे। उससे पहले या बाद में ब्रुक्स का एस्टीन से कोई कांटेक्ट नहीं था और यह बात भी सच है कि इन फोटो में सिर्फ इन लोगों का दिखना कोई गलत काम का प्रूफ नहीं है क्योंकि फोटो में किसी तरह का कॉन्टेक्स्ट नहीं दिया गया है। ये तो हुई उन फोटो की बात जिनमें अमेरिका की जानीमानी हस्तियां हैं। इसके अलावा कुछ फोटो में औरतों के बॉडी पार्ट्स पर कुछ लाइंस लिखी हुई दिख रही हैं। ये लाइंस लोलिता नाम की एक नवेल से इंस्पायर्ड हैं। ललिता 1955 में लिखी गई थी एक नवेल। कहानी में एक पीडोफाइल प्रोफेसर एक 12 साल की बच्ची को सेक्सुअली अब्यूज करता है। इस नवेल का एस्टीन से कोई और कनेक्शन भी है।
लोग उस घेरे में तो जरूर आएंगे जो उन पार्टीज में गए। दो तरह का काम वह कर रहा है। पॉलिटिकल लीडर्स को आपस में मिलवाना, डिप्लोमेट्स को आपस में मिलवाना, डील्स क्रैक करना, आर्म्स डील्स क्रैक करना ये सारी चीजें जो अमेरिका में अलाउड है इललीगल नहीं है। जिसको लॉबी कहते हैं। हिंदुस्तान में वो दलाली कहलाता है। वहां लॉबिंग उस तरह के काम को वहां पे लीगलाइज वहां पे सिस्टम बना हुआ है। तो वह एक काम अलग कि नेताओं को नेताओं से मिलाना, इंडस्ट्रिलिस्ट को नेताओं से मिलाना, सरकार से सरकार डिप्लोमा वो सेटिंग एक अलग काम है। बहरहाल, एप्स्टीन फाइल्स को लेकर भारत में भी काफ़ी उत्सुकता है। भारत में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी समेत कई अन्य नेताओं ने दावा किया है कि एपस्टीन फाइल्स भारतीय राजनीति में भी धमाका करेगी। नवंबर में जारी एपस्टीन फाइल्स से जुड़े दस्तावेज़ो में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और उद्योगपित अनिल अंबानी के नाम हैं। लेकिन इनका संदर्भ मुलाक़ात करने या कराने से है। अभी तक कोई ऐसी बात नहीं आयी है जिससे कहा जाये कि एपस्टीन के आपराधिक कारनामों में किसी भारतीय नेता की संलिप्ततता है। 2019 में, गिरफ्तारी से दो महीने पहले, एपस्टीन ने स्टीव बैनन (ट्रंप के पूर्व एडवाइजर) से मोदी से मीटिंग सेट करने की कोशिश की। ईमेल में लिखा "Modi on board", मुद्दा चीन के खिलाफ रणनीति। लेकिन कोई मीटिंग नहीं हुई, और बैनन ने जवाब नहीं दिया। ये एपस्टीन की आदत थी – बड़े नेताओं से कनेक्शन बनाने की। ड्रॉप साइट और द वायर की रिपोर्ट्स में ये स्पष्ट है कि ये जियोपॉलिटिकल इंटरेस्ट था, मोदी या भारत सरकार से डायरेक्ट लिंक नहीं।
यह उस पावर नेटवर्क को एक्सपोज कर रही हैं जहां पर यादें बनाने के लिए नहीं बल्कि स्कूल जाने की उम्र वाली लड़कियों को ब्लैकमेल करने के लिए सबूत जमा किए जाते हैं ताकि साल दर साल उनका शोषण हो सके। अभी पूरा खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन जो तस्वीरें आई उसमें ट्रंप लड़कियों से घिरे दिख रहे हैं। एक तस्वीर में उनकी मौजूदगी कंडोम के पैकेट के साथ दर्ज है और लिखा है आई एम ह्यूज। अब सवाल सिर्फ यह नहीं कि तस्वीर में क्या है? सवाल यह है कि यह कौन सी दुनिया है और इसे अंधेरे में क्यों रखा गया? बहस इस बात पर हो रही है कि इन लोगों को बचा कौन रहा था? बहस इस बात की कि एस्टीन केस की फाइलों में ऐसा क्या है कि सबसे मुख्य व्यक्ति को पहले सालों साल जेल नहीं भेजा गया। फिर कुछ महीनों में छोड़ा गया और बाद में ही जेल में मरवा दिया गया। सवाल यह कि क्या यह कहानी सिर्फ अमेरिका की है? क्योंकि नाम इसमें भारत के नेताओं का भी आ रहा है।
एफस्टीन का नेटवर्क किसी एक देश तक सीमित नहीं था। यही वजह है कि इस पूरे मामले को सिर्फ सेक्स स्कैंडल कहना सच्चाई से भागना है। असल मुद्दा पावर है। वो पावर जो अपराध को ढक देती है। वो पावर जो कानून को मोड़ देती है। वो पावर जो पीड़ितों की आवाज को सालों तक दबाए रखती है। मामला किसी एक आदमी का नहीं उस सिस्टम की कहानी है जहां सत्ता ने अपराध को सुरक्षा दी। धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है। ट्रंप की तस्वीरें इस कहानी का हिस्सा हैं। आगे आने वाले वक्त में जब और दस्तावेज सामने आएंगे तब यह तय होगा कि यह कहानी दबा दी जाएगी या सच में किसी को जवाबदेह ठहराया जाएगा। क्योंकि सवाल अब यह नहीं है कि ट्रंप ने क्या किया? सवाल यह है क्या इस बार पूरा सच आएगा या फिर ताकत के सामने सबसे पुराने लोकतंत्र का दम भरने वाला अमेरिका फिर कमजोर पड़ जाएगा और ताकत डेमोक्रेसी पर भारी पड़ जाएगा।