केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की योजनाओं को संघीय ढांचे की रक्षा करनी चाहिए: संसदीय समिति

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 24, 2022

नयी दिल्ली। संसद की एक समिति ने सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन आगाह किया है कि राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों को तैयार करते समय “अत्यधिक विवेक” का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि देश की संघीय विशेषताएं ‘प्रभावित’ न हों। कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने बृहस्पतिवार को सहकारिता मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग से संबंध के बारे में अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। समिति ने सहकारिता से समृद्धि की ओर दृष्टि को साकार करने के मकसद से देश में सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने के सरकार के फैसले पर खुशी व्यक्त की।

इसे भी पढ़ें: मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग को सड़कों के रख-रखाव की नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए

समिति ने कहा कि सहकारी समितियां का विषय, संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची- II (राज्य सूची) की मद संख्या 32 में शामिल राज्य का विषय है। राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत सहकारी समितियां, संबंधित सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार द्वारा प्रशासित होती हैं। सहकारी समितियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सहकारी कानूनों के तहत कई सहकारी संस्थाएं भी स्थापित की गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, समिति ... यह विचार व्यक्त करती है कि सहकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों/योजनाओं/कार्यक्रमों को निर्धारित करने में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करेगा ताकि देश की संघीय विशेषताओं पर कोई प्रभाव न पड़े और सहकारी क्षेत्र के सभी अंशधारक विधिवत लाभान्वित हों’’ मंत्रालय को उनकी अनुमानित 3,250 करोड़ रुपये की मांग के मुकाबले वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों में 900 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। समिति को उम्मीद थी कि मंत्रालय मासिक व्यय योजना को लागू करेगा जैसा कि वर्ष 2022-23 की विस्तृत अनुदान मांगों में निहित है।

इसे भी पढ़ें: कन्दरौड़ी औद्योगिक क्षेत्र हिमाचल के फार्मास्यूटिकल हब के रूप में चिन्हितः जय राम ठाकुर

समिति ने मंत्रालय की नई नीतिगत पहलों का भी स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि नई राष्ट्रीय सहयोग नीति मुद्दों के गहन विश्लेषण के बाद विकसित की जाएगी और क्षेत्र में सभी अंशधारकों के साथ व्यापक परामर्श के माध्यम से सुधारात्मक उपचारात्मक उपायों को अंतिम रूप दिया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मंत्रालय के अनुसार, सहकारी क्षेत्र प्रभावी प्रशासन की कमी, नेतृत्व और पेशेवर प्रबंधन, निम्न स्तर के प्रौद्योगिकी अपनाने आदि जैसे गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है, जिससे सहकारी समितियों का त्वरित और समान विकास प्रभावित हो रहा है। समिति को यकीन है कि ये बाधाएं हैं किसी भी तरह से हटाने की जरूरत है।

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी