कांग्रेस के 22 बागी विधायकों ने सिंधिया को बताया अपना नेता, बोले- BJP में जाने का अभी विचार नहीं

By दिनेश शुक्ल | Mar 17, 2020

भोपाल। मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक के बीच बेंगलुरु में ठहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक और पूर्व मंत्रियों ने मंगलवार सुबह प्रेस वार्ता कर अपनी बात रखी। इन विधायकों का आरोप है कि उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाए। जबकि कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 6 विधायकों को पहले ही विधानसभा की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है। इस दौरान सिंधिया समर्थक विधायक और पूर्व मंत्रियों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी बात कभी गंभीरता से नहीं सुनी। धार जिले के बदनावर से विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिर्फ छिंदवाड़ा के विकास पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सिर्फ छिंदवाड़ा के दम पर चुनाव नहीं जीता था। 

 

इसे भी पढ़ें: सियासी संकट से मिली फौरी राहत के बाद कमलनाथ खुश

 

इस प्रेसवार्ता के दौरान दो महिला विधायक भी मौजूद रही इसमें पूर्व मंत्री इमरती देवी ने कहा हमारे क्षेत्र में विकास नहीं हुआ सिर्फ छिंदवाड़ा में विकास हुआ है। वहीं इमरती देवी ने कहा कि मैं सिंधिया महाराज के साथ हूं अगर वह कुएं में कूदने को भी कह देंगे तो हम कूद जाएंगे। 

पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट ने भी अपनी बात रखी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति अपना समर्थन व विश्वास जताया। प्रेसवार्ता के दौरान सभी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफे स्वीकार करने की मांग की। सभी विधयकों ने कहा कि वह भोपाल आने को तैयार है लेकिन उन्हें केंद्र द्वारा सुरक्षा मुहैया कराई जाए। वहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ के उनसे मिलने के प्रश्न पर विधायकों ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री कमलनाथ को मिलना है तो वह बेंगलुरु में मिलने आ जाएं। विधायकों ने कहा कि जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भोपाल में पत्थरों से हमला हो सकता है, तो हम तो साधारण से नेता हैं।

 

इसे भी पढ़ें: कमलनाथ की भाजपा को चुनौती, कहा- हिम्मत है तो मेरी सरकार के खिलाफ लाएं अविश्वास प्रस्ताव

 

कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता लेने वाले वरिष्ठ नेता बिसाहू लाल सिंह ने बताया कि वह कुछ विधायकों के साथ राहुल गांधी से मिले थे उन्हें मध्यप्रदेश की परिस्थितियों से अवगत कराया था और उनके सामने अपनी बात रखी थी लेकिन हमारी व्यथा वहां भी नहीं सुनी गई। हमारे साथ न्याय नहीं हुआ। बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के इन विधायकों का साफ तौर पर आरोप है कि कमलनाथ सरकार में सिर्फ दलालों की सुनी जाती थी। दूसरी तरफ इन विधायकों ने यह भी कहा कि वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं जबकि उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जा रहे। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अभी उन्होंने यह नहीं सोचा है कि वह बीजेपी में शामिल होंगे कि नहीं। सब लोग मिलकर इस बात का निर्णय करेंगे।

 

इसे भी देखें: कोरोना ने कमलनाथ को दी राहत