By अनन्या मिश्रा | Oct 01, 2025
भारतीय सिनेमा संगीत जगत में अहम भूमिका निभाने वाले एसडी बर्मन का 10 अक्तूबर को जन्म हुआ था। एसडी बर्मन सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर थे। उनका असली नाम सचिन देव बर्मन था। एसडी बर्मन बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी थे, उनकी खासियत यह थी कि वह किसी भी परिस्थिति के मुताबिक म्यूजिक बनाकर तैयार कर लेते थे। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि एसडी बर्मन राजा-महाराजाओं के घर से ताल्लुक रखते थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर एसडी बर्मन के जीवन से जुड़ी कुछ रोम चक बातों के बारे में...
त्रिपुरा के शाही परिवार में 01 अक्तूबर को सचिव देव बर्मन का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम एमआरएन देव था, जोकि एक जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद थे। उनकी मां का नाम निर्मला देवी था, जो मणिपुर की राजकुमारी थी। लेकिन इसके बाद भी एसडी बर्मन बहुत सरल जीवन जीते थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पूरी की और फिर साल 1931 में कोलकाता के रेडियो स्टेशन में गायक के रूप में जुड़े थे।
बता दें कि एसडी बर्मन ने बतौर सितार वादन संगीत की दुनिया में कदम रखा था। शुरूआती दिनों में उन्होंने कई हिंदी और बांग्ला फिल्मों के लिए गाने गाए थे। फिर साल 1944 में वह मुंबई आ गए और दो साल बाद यानी की साल 1946 में एसडी बर्मन को फिल्म शिकारी और 8 दिन में संगीत देने का मौका मिला। इसके बाद एसडी बर्मन को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी।
एसडी बर्मन ने 100 से अधिक फिल्मों में म्यूजिक देने के साथ 14 हिंदी फिल्मों के गानों में अपनी आवाज दी थी। इसमें कई सुपरहिट गाने शामिल हैं। एसडी बर्मन ने गाइड में अल्ला मेघ दे, वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहां, फिल्म प्रेम पुजारी में प्रेम के पुजारी हम हैं, पानी दे, फिल्म सुजाता में सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा जैसे गीतों में अपनी आवाज दी। इसके अलावा साल 1969 में आई फिल्म आराधना में भी एसडी बर्मन ने संगीत दिया था।
हिंदी सिनेमा में एसडी बर्मन के योगदान के लिए उनको साल 1958 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। फिर साल 1969 में उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उनको दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
वहीं 04 अक्तूबर 1994 को एसडी बर्मन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।