By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 28, 2020
अमरावती। तेदेपा के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने 2004 में विधान परिषद को बहाल किए जाने का विरोध करने के बाद आम लोगों की इच्छा को देखते हुए इस संबंध में अपना रुख बदल दिया। विधानसभा की कार्यवाही पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नायडू ने सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर बिंदु वार जवाब दिया। उनकी पार्टी ने विधान परिषद को समाप्त करने के सरकारी फैसले के विरोध में विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता नायडू ने कहा कि उन्होंने विधान परिषद बहाल किए जाने का विरोध किया था। लेकिन लोगों की इच्छा को देखते हुए पार्टी ने बाद में रुख बदल लिया। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने 2012-13 में पैदल यात्रा की तो लोगों ने सुझाव दिया कि विधान परिषद को कायम रखा जाए ताकि वंचित और दलित तबकों के जो लोग विधानमंडल में नहीं जा सकते, उन्हें उच्च सदन में प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।’’
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विपक्षी नेता ने मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के दावे का भी उपहास किया कि विधान परिषद पर 60 करोड़ रुपये व्यर्थ खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब जगन के हर हफ्ते अदालतों में पेश होने वाले खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार प्रति वर्ष 30 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो विधान परिषद पर पैसा क्यों नहीं खर्च किया जा सकता है।
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