By अभिनय आकाश | Apr 25, 2022
अज़ान और हनुमान चालीसा विवाद और नवनीत और रवि राणा की गिरफ्तारी के बीच महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों और भाजपा के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने रविवार को कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठाई। अब इसको लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार का बयान भी सामने आया है। शरद पवार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात को लेकर कहा कि ये धमकी हमेशा दी जाती है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलता।
इसके साथ ही एनसीपी प्रमुख ने कहा कि अगर चुनाव की स्थिति बनती है, तो हाल ही में कोल्हापुर उपचुनाव के परिणाम ने दिखाया है कि किस तरह का परिणाम होगा। पवार ने कहा कि यह सच है कि सत्ता से बाहर होने के बाद कुछ लोग चिंतित हो रहे हैं। वर्ष 1980 में हमारी (राज्य) सरकार बर्खास्त होने के बाद, मुझे देर रात साढ़े 12 बजे इसके बारे में बताया गया था। मैंने तुरंत अपने दोस्तों के साथ (मुख्यमंत्री) आवास खाली कर दिया और अगले दिन किसी अन्य स्थान पर चले गए। हम सभी वानखेड़े स्टेडियम में एक क्रिकेट मैच देखने गए और पूरे दिन का आनंद लिया था।’’ राकांपा प्रमुख ने कहा कि सत्ता आती है और जाती है, चिंता करने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। राणे ने दावा किया कि राष्ट्रपति शासन आवश्यक है क्योंकि शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार प्रतिशोध की राजनीति कर रही है। यह पहली बार नहीं है जब राणे ने राष्ट्रपति शासन की जोरदार वकालत की है। इससे पहले, उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में राज्य सरकार की विफलता का हवाला देते हुए मांग की थी।