शरद पूर्णिमा पर आकाश से अमृत वर्षा के बीच माँ लक्ष्मी कब और क्यों करती हैं धनवर्षा ?

By शुभा दुबे | Oct 18, 2021

साल भर में कुछ खास पूर्णिमा ऐसी हैं जिन्हें बहुत शुभ और लाभदायक माना जाता है। इन्हीं में से एक है आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली शरद पूर्णिमा। धनदायक पूर्णिमा माने जाने वाली शरद पूर्णिमा के दिन आकाश से अमृत वर्षा तो होती ही है यदि आप विधि-विधान से पूजन अर्चन करें तो माँ लक्ष्मी भी अपनी विशेष कृपा आप पर बरसाती हैं। इस साल शरद पूर्णिमा का त्योहार 19 अक्तूबर को मनाया जायेगा। इस साल शरद पूर्णिमा पर पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 19 अक्तूबर को सायं 7.03 बजे से हो रहा है और समापन 20 अक्तूबर को रात 8.26 पर होगा। शरद पूर्णिमा माँ लक्ष्मी और चंद्र देवता को प्रसन्न कर जीवन में धन-धान्य और शांति बनाये रखने की प्रार्थना करने का सबसे उपयुक्त दिन है।

इसे भी पढ़ें: शरद पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

शरद पूर्णिमा के बारे में पौराणिक मान्यताएं


शरद पूर्णिमा को 'रास पूर्णिमा' भी कहा जाता है। ज्योतिष की मान्यता है कि संपूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा षोडश कलाओं का होता है। धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि रासोत्सव का यह दिन वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण ने जगत की भलाई के लिए निर्धारित किया है क्योंकि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से सुधा झरती है। कार्तिक का व्रत शरद पूर्णिमा से ही प्रारम्भ होता है। इस रात्रि में भ्रमण और चंद्रकिरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है। प्रति पूर्णिमा को व्रत करने वाले इस दिन भी चंद्रमा का पूजन करके भोजन करते हैं। इस दिन शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। यही पूर्णिमा कार्तिक स्नान के साथ, राधा-दामोदर पूजन व्रत धारण करने का भी दिन है। 


शरद पूर्णिमा पूजन विधि


इस दिन प्रातःकाल ही स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने आराध्य देव को सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित करना चाहिए। उन्हें अक्षत, पुष्प, दीप, नैवेद्य, पान, सुपारी, आसन और दक्षिणा प्रदान करें तथा विधि विधान से पूजन करें और प्रसाद बांटें। इस दिन खीर और पूरियां बनाकर भगवान को उनका अर्द्धरात्रि को भो लगाएं और रात्रि जागरण करें। भोग लगाए प्रसाद को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। मान्यता है कि इस दिन अमृत बरसता है और भोग लगाए प्रसाद को खुले में रखने से वह भी अमृत रूपी हो जाता है। अगले दिन यह प्रसाद सभी को दें और खुद भी खाएं। इस दिन व्रत करने के पश्चात कथा अवश्य सुनें। यदि यह खीर चांदी के बर्तन में रखेंगे तो और लाभ होगा क्योंकि चांदी के बर्तन में रखी खीर पर जब चंद्रमा की रौशनी पड़ेगी तो उसको खाने वाले की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

इसे भी पढ़ें: जल्द लगने जा रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इस राशि के लोगों पर आ सकता है संकट

कैसे और कब होती है धनवर्षा


शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जो लोग उनके पूजन में लीन होते हैं उन पर धनवर्षा करती हैं और उनके घर में वास करती हैं। एक ओर चंद्रमा की चांदनी से पूरी धरती रौशनी से सराबोर रहती है तो दूसरी ओर इसी दौरान माँ लक्ष्मी की ओर से की जाने वाली धनवर्षा लोगों के जीवन में नया बदलाव ला देती है।


शरद पूर्णिमा व्रत कथा


एक साहूकार की दो पुत्रियां थीं। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। परन्तु बड़ी पुत्री पूर्णिमा का पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। परिणामतः छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है। उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लड़का हुआ परंतु शीघ्र मर गया। उसने लड़के को पीढ़े पर लिटाकर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब पीढ़े पर बैठने लगी तो उसका घाघरा बच्चे को छू गया। बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा तो बड़ी बहन बोली− अरे तू मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह बच्चा मर जाता। इस पर छोटी बहन बोली− बहन यह तो पहले ही मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। इस घटना के बाद पूरे नगर में यह ढिंढोरा पिटवा दिया गया कि इस व्रत को पूरा करना चाहिए क्योंकि यह संतान सुख प्रदान करने वाला व्रत है। उसके बाद से इस व्रत को किसी ने भी अधूरा नहीं किया। विवाहित स्त्रियों को चाहिए कि वह विवाह होने के बाद पूर्णमासी के व्रत का नियम शरद पूर्णिमा से ही शुरू करें। इसके अलावा कार्तिक का व्रत भी शरद पूर्णिमा से ही शुरू किया जाना चाहिए।


-शुभा दुबे

प्रमुख खबरें

Assam Government ने एससी, एसटी और अन्य समुदायों को दो बच्चे के नियम से छूट दी

Vladimir Putin के डिनर पर Shashi Tharoo हुए शामिल, खड़गे-राहुल गांधी को न्योता नहीं? कांग्रेस ने लगाया सरकार पर प्रोटोकॉल उल्लंघन का आरोप

भारत वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर: Ram Nath Kovind

Ukraine Crisis को लेकर लगातार तीसरे दिन बैठक करेंगे अमेरिकी और यूक्रेनी अधिकारी