लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच चल रही कटुता की पृष्ठभूमि में सपा ने शिवपाल की विधानसभा से सदस्यता खत्म करने की अर्जी सदन को दी है। पिछले साल अपनी नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव अभी तक सपा से ही विधायक हैं। विधानसभा में समाजवादी पार्टी एवं विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और कभी पार्टी के कद्दावर नेता रहे शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता के विरुद्ध याचिका प्रस्तुत की है। यह याचिका दलबदल विरोधी कानून के आधार पर पेश की गई है।
प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे के एक पत्र में कहा गया है ‘ भारत के संविधान की दसवी अनुसूची के अन्तर्गत बनायी गयी उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य :दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता: नियमावली 1987 के नियम 7 के अन्तर्गत सपा नेता राम गोविंद चौधरी द्वारा विधानसभा सदस्य शिवपाल यादव के विरूद्ध चार सितंबर 2019 को याचिका प्रस्तुत की गयी है।’’ विधानसभा के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सपा नेता राम गोविंद चौधरी के पत्र के बाद शिवपाल यादव को अपना पक्ष रखने के लिये नोटिस भेज दिया गया है उसका जवाब आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष अपना फैसला करेंगे।
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इस बारे में शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रवक्ता सीपी राय ने बताया ‘‘लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले शिवपाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को सूचित कर दिया था कि वह अपनी नयी पार्टी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। अब विधानसभा अध्यक्ष का पत्र आने के बाद एक बार फिर उन्हें सूचित कर दिया जायेगा। गौरतलब है कि शिवपाल ने पिछले साल सपा से अलग हो कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। शिवपाल यादव अभी भी सपा से ही विधायक हैं। लोकसभा चुनाव में शिवपाल खुद भी मैदान में थे और अपनी पार्टी से कई नेताओं को अलग अलग सीटों पर टिकट दी थी लेकिन उन्हें एक भी लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं हुई।