By डॉ. नवीन शर्मा | Jul 08, 2025
हिन्दू धर्म में आध्यात्मिक दृष्टि से श्रावण मास को अत्यन्त पवित्र माना जाता है, यह सावन मास विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के ज्योतिष विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन शर्मा ने जानकारी दी कि श्रावण मास भगवान शिवजी को अत्यन्त प्रिय है। भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि-
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभः ।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ॥
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृतः।
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यतः ॥
अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। श्रावण माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है ।
इस माह में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है। सावन के सोमवार का व्रत रखने से गृहस्थ जीवन सुखमय बनता है, सुख-समृद्धि व शान्ति की प्राप्ति होती है। इस समय ध्यान, शिव पूजन, रुद्राभिषेक,शिव मन्त्र ऊँ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मन्त्र जप, और दान करने से आत्मिक शुद्धि होती है और पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं। यह माह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अत्यन्त लाभकारी होता है।
डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि पंचांग दिवाकर के अनुसार श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई की अर्धरात्रि 2 बजकर 07 मिनट पर प्रारम्भ होगी। भारतीय ज्योतिष के अनुसार अधिकतर व्रत,पर्व इत्यादि सूर्योदय कालीन तिथि में मनाए जाने का विधान है अतः सूर्योदय व्यापिनी श्रावण कृष्ण प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई को होगी अतः श्रावण मास का प्रारम्भ 11 जुलाई को ही होगा जो श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबन्धन 09 अगस्त तक रहेगा। भारत में श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस एवं श्रावण मास को संस्कृत मास के रूप में भी मनाया जाता है। इस बार श्रावण मास में 04 सोमवार आ रहे हैं जो 14, 21, 28 व 04 अगस्त तक रहेंगे। सनातन धर्म में सोमवार भगवान शिव के लिए समर्पित है। वर्ष भर लोग सोमवार का व्रत भी करते हैं ऐसे में भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास के सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है।
11 जुलाई, श्रावण मास का प्रारम्भ
12 जुलाई, अशून्य शयन व्रत
14 जुलाई, प्रथम श्रावणी सोमवार /गणेश चतुर्थी व्रत
15 जुलाई, मंगला गौरी व्रत
16 जुलाई, श्रावण संक्रान्ति
17 जुलाई, शीतला सप्तमी
21जुलाई, द्वितीय सोमवार / कामिका एकादशी
22 जुलाई, भौम प्रदोष
23 जुलाई, श्रावणी शिवरात्रि
24 जुलाई, श्रावणी अमावस्या
28 जुलाई, तृतीय सोमवार /विनायक चतुर्थी
29 जुलाई, नागपंचमी
30 जुलाई, कल्कि जयन्ती
31 जुलाई,गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती/ शीतला सप्तमी
04 अगस्त, चतुर्थ सोमवार
05 अगस्त,पवित्रा एकादशी
06 अगस्त, प्रदोष व्रत
08 अगस्त, पूर्णिमा व्रत
09 अगस्त, श्रावणी पूर्णिमा/ रक्षाबन्धन (श्रावण का अन्तिम दिन)
- ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन शर्मा
असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योतिष
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल, हरियाणा