By अभिनय आकाश | Nov 06, 2025
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। उत्तरी कर्नाटक के गन्ना किसान 3,500 रुपये प्रति टन की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन तेज़ न करने का आग्रह किया और उन्हें शुक्रवार को बेंगलुरु में बातचीत के लिए बुलाया। सिद्धारमैया ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने चल रहे आंदोलन पर चर्चा के लिए हावेरी, बेलगावी, विजयपुरा और बागलकोट के चीनी मिल मालिकों और किसान प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई है।
उन्होंने कहा कि एफआरपी केंद्र सरकार द्वारा तय की जाती है। इस साल, कटाई और परिवहन सहित एफआरपी वसूली 10.25 प्रति टन तय की गई है। मुख्यमंत्री ने किसानों से बैठक में शामिल होने और राजमार्गों को अवरुद्ध करने से बचने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं किसानों से अनुरोध करता हूँ कि वे इस तरह की हड़ताल न करें और जनता को असुविधा न पहुँचाएँ। उन्होंने आगे कहा कि वह तुरंत प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे। सिद्धारमैया ने चीनी विनियमन और इथेनॉल आवंटन को लेकर भी केंद्र की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र ने न केवल गन्ने की कीमतें तय कीं, बल्कि चीनी का विनियमन भी किया, निर्यात रोक दिया और कर्नाटक को केवल 47 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया, जबकि राज्य 270 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करता है।
उन्होंने विपक्ष पर किसानों की मासूमियत का फायदा उठाने" का आरोप लगाया, जबकि राज्य ने डिजिटल तौल मशीनों के लिए निविदा जारी करने और कटाई व उपज की निगरानी के लिए समितियाँ गठित करने जैसे कदम उठाए हैं।