अमरिंदर से दो-दो हाथ करने वाले सिद्धू ने चन्नी की तरफ मोड़ी अपनी मिसाइल, एक महीने में ही आ गई इस्तीफा देने की नौबत?

By अभिनय आकाश | Oct 20, 2021

पंजाब में विधानसभा के चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का आपसी कलह भी एक अबूझ पहेली बनकर रह गया है। कैप्टन के कांग्रेस से नाराजगी और अलग पार्टी बनाने की खबरों के बीच अब सूबे से एक और बड़ी खबर आ रही है। अपना एजेंडा लागू कराने के लिए सिद्धू चन्नी सरकार में दखलअंदाजी करने लगे हैं। न्यूज चैनल आज तक के हवाले से दावा किया जा रहा है कि चन्नी की तरफ से इस्तीफे की पेशकश कर दी है।

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रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू के साथ चन्नी की मुलाकात के बाद ये दावा किया जा रहा था कि अब गिले-शिकवे का दौर थमने वाला है। लेकिन बैठक को लेकर सूत्रों के हवाले से जो खबर सामने आई उसमें दावा किया जा रहा है कि सिद्धू और चन्नी के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। खबरों की माने तो सिद्धू सरकार पर अपना एजेंडा थोंपने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे चन्नी बुरी तरह परेशान हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों के बीच रविवार को हुई बैठक में हरीश रावत और परगट सिंह की मौजूदगी में गर्मागर्म बहस भी खूब हुई। समाचार चैनल का दावा है कि इस बैठक में चन्नी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी। इसके साथ ही कह दिया कि सिद्धू 2 महीने के भीतर अपना 13 सूत्रीय एजेंडा पूरा करके दिखाएं। 

13 सूत्रीय एजेंडे पर दोनों के बीच तकरार 

  • नशा कारोबार में शामिल बड़ी मछलियों को सजा मिले
  • बादल परिवार की बसों की जगह पीआरटीसी की बसें लगाई जाएं
  • केबल कारोबार में  बादल के वर्चस्व को भी खत्म किया जाए
  • कृषि से जुड़े तीनों काले कानूनों को किसी भी कीमत पर लागू नहीं करने की घोषणा
  • गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों सजा 
  • 24 घंटे और सस्ती बिजली, 300 यूनिट तक की बिजली मुफ्त 
  • पंजाब को सस्ते, स्मार्ट और कुशल पीपीए की ओर बढ़ना 
  • अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के अधिक प्रतिनिधित्व की भी हिमायत  

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 एक महीने में ही आ गई ऐसी नौबत

आज चरणजीत चन्नी को शपथ लिए हुए एक महीना पूरा हो रहा है और आज ही उनके इस्तीफे की पेशकश वाली खबर सामने आ रही है। कांग्रेस आलाकमान ने यह सोचा था कि चन्नी को सीएम बनाने के बाद पार्टी के हालात सुधर जाएंगे लेकिन हक़ीक़त में कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने इस एक महीने के कार्यकाल में जनता के हितों के लिए फ़ैसले तो कई लिए लेकिन पंजाब कांग्रेस में सचे घमासान पर क़ाबू नहीं कर सके। 

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