By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 23, 2020
नयी दिल्ली। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि केरल पुलिस अधिनियम संशोधित अध्यादेश पर पुनर्विचार किया जाएगा। पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन को लेकर रविवार को मचे सियासी तूफान के बाद येचुरी का बयान आया है। केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था। इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं। मुख्यमंत्री पी विजयन की अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार ने इस कदम का यह कहते हुए बचाव किया था कि इस संशोधन की मंशा महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध कम करना है।
येचुरी ने कहा, अध्यादेश पर पुनर्विचार किया जाएगा। उनसे पूछा गया कि क्या पुनर्विचार का मतलब यह है कि अध्यादेश को हल्का किया जाएगा, तो उन्होंने संकेत दिया कि इसका मतलब है कि अध्यादेश को रद्द किया जाएगा। माकपा और भाकपा, देनों के ही सूत्रों ने कहा कि एलडीएफ सरकार इस अध्यादेश को निरस्त होने देगी। सूत्रों ने बताया कि अध्यादेश ने दोनों वाम पार्टियों को असहज स्थिति में डाल दिया है, क्योंकि यह दोनों दलों के सिद्धांतों के विपरीत है। माकपा का केंद्रीय नेतृत्व केरल सरकार के फैसले से सहमत नहीं है और अध्यादेश को रद्द होने देने के लिए राज्य नेतृत्व पर दबाव डाल रहा है। भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा है कि वह अध्यादेश से असहज हैं और पार्टी ने राज्य नेतृत्व को इस बारे में अपनी राय बता दी है। राजा ने पीटीआई-से कहा, हमने अपनी राज्य इकाई से अध्यादेश पर पुनर्विचार करने को कहा है। हमने माकपा नेतृत्व से भी बात की है और दोनों की सहमति है कि अध्यादेश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।