Sonu Nigam Kannada Controversy | कन्नड़ भाषा विवाद मामले में सोनू निगम को कर्नाटक हाईकोर्ट से राहत मिली

By रेनू तिवारी | May 16, 2025

नेशनल अवॉर्ड विनर सिंगर सोनू निगम पिछले दिनों कन्नड़ भाषा विवाद में घिरे थे। इसकी शुरुआत बेंगलुरु में एक म्यूजिकल कॉन्सर्ट से हुई, जहां कथित तौर पर एक्टर के शब्दों से लोगों की भावनाएं आहत हुईं और मामला कोर्ट तक खिंच गया। सोनू निगम ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि सिंगर के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न की जाए, बशर्ते वह जांच में सहयोग करते रहें। आपको बता दें कि कन्नड़ भाषा से जुड़ी संस्थाओं ने सोनू निगम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद सोनू निगम ने हाईकोर्ट में अपील की थी।


गायक सोनू निगम को हाई कोर्ट से राहत

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि गायक सोनू निगम के खिलाफ एक मामले में अगली सुनवाई तक उनके विरुद्ध कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाए। यह मामला हाल में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए निगम के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामले के संबंध में है। अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) के लिए जरूरी होने पर गायक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना बयान दर्ज कराने की अनुमति भी दी। अदालत ने कहा कि अगर वैकल्पिक रूप से आईओ व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर जोर देते हैं, तो अधिकारी निगम के पास जा सकते हैं, जिसका खर्च गायक को उठाना होगा। 


क्यों की गयी थी सोनू निगम के खिलाफ शिकायत?

यह मामला एक संगीत कार्यक्रम में हुई घटना के बाद दर्ज की गई शिकायत से संबंधित है, जहां कुछ कन्नड भाषी लोगों ने निगम से कन्नड में गाने का अनुरोध किया था। गायक ने कथित तौर पर श्रोताओं के अनुरोध के लहजे पर आपत्ति जताई और टिप्पणी की, ‘‘इसी वजह से पहलगाम हुआ।’’ सुनवाई के दौरान, निगम के वकील धनंजय विद्यापति ने तर्क दिया कि शिकायत केवल प्रचार के लिए दर्ज की गई थी और आईपीसी की धारा 505 के तहत सार्वजनिक शरारत का कथित अपराध नहीं बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक अकेली घटना थी, संगीत कार्यक्रम सुचारू रूप से चला और शिकायत तीसरे पक्ष द्वारा दर्ज करायी गई थी। हालांकि, राज्य के वकील ने कहा कि सोनू निगम की टिप्पणियों की जांच के दौरान इरादे का पता लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘टिप्पणियां जानबूझकर की गई थीं या नहीं, इसका फैसला धारा 482 (सीआरपीसी) के तहत नहीं किया जा सकता। उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है। वह कम से कम यह तो कह सकते थे कि वह व्यस्त हैं।’’ 


कोर्ट ने कन्नड़ भाषा विवाद पर क्या कहा?

विशेषाधिकारों के खिलाफ तर्क देते हुए राज्य के वकील ने कहा, ‘‘जो व्यक्ति कानून की उचित प्रक्रिया का सम्मान नहीं करता है, उसे धारा 482 के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता... वह एक सामान्य व्यक्ति नहीं है, बल्कि यही कारण है कि उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।’’ जब अदालत ने पूछा कि निगम का बयान वर्चुअल तरीके से या उनके आवास पर क्यों नहीं दर्ज किया जा सकता, तो राज्य ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा करना गायक को ‘बहुत अधिक सुविधा’ देने के समान होगा। निगम के वकील द्वारा मीडिया में उनके निजी तौर पर पेश होने के बाद बनने वाली स्थिति के बारे में उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर अदालत ने कहा, ‘‘यदि आप उनकी प्रत्यक्ष रूप से उपस्थिति चाहते हैं, तो आप उनके घर जाएं और उनका बयान दर्ज करें। वह खर्च वहन कर सकते हैं।’’ अदालत ने राज्य की दलील दर्ज की कि यदि निगम जांच में सहयोग करते हैं तो कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। उसने मामले में अगली सुनवाई की तारीख तक कोई भी अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगा दी।

 

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