Credit Card नहीं है तो क्या हुआ, जल्द ही UPI से की गयी पेमेंट को EMI में बदलवा सकेंगे, लेते रहिये Shopping का मजा

By नीरज कुमार दुबे | Sep 24, 2025

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक में जिस तेज़ी से बदली है, उसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) की भूमिका निर्विवाद है। हर माह लगभग 20 अरब लेन-देन और 25–30 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ताओं के साथ यूपीआई आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती डिजिटल भुगतान प्रणाली बन चुकी है। अब नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) इसका अगला चरण तैयार कर रहा है। लक्ष्य स्पष्ट है— यूपीआई को केवल भुगतान का माध्यम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण क्रेडिट इकोसिस्टम बनाना।


हम आपको बता दें कि रूपे क्रेडिट कार्ड और यूपीआई पर क्रेडिट लाइन जैसी सुविधाओं के बाद अब एनपीसीआई उपभोक्ताओं को यह विकल्प देने की तैयारी कर रहा है कि वे किसी भी यूपीआई भुगतान को तुरंत ईएमआई में बदल सकें। बताया जा रहा है कि अभी फिनटेक कंपनियाँ इस सुविधा पर पूरी तरह तैयार नहीं हैं, लेकिन एनपीसीआई ने प्रोडक्ट गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। सूत्रों के अनुसार, इस सुविधा का अनुभव वैसा ही होगा जैसा दुकानों पर कार्ड स्वाइप करने के बाद भुगतान को किस्तों में बदलने का होता है।


हम आपको बता दें कि यह पहल फिनटेक स्टार्टअप्स और बैंकों के लिए बड़ा अवसर लेकर आई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नवी जैसे प्लेटफ़ॉर्म पहले ही यूपीआई पर क्रेडिट सुविधाएँ उपलब्ध कराने में जुटे हैं। कुछ निजी बैंक नवी और पेटीएम जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर यूपीआई उपयोगकर्ताओं को क्रेडिट लाइन देने लगे हैं। देखा जाये तो अब तक बचत खाते से किए गए यूपीआई भुगतानों पर व्यापारियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, क्योंकि सरकार ने रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई लेन-देन पर शून्य शुल्क नीति लागू कर रखी है। यही कारण है कि फिनटेक कंपनियों को राजस्व कमाने का सीमित अवसर मिलता था। लेकिन क्रेडिट आधारित लेन-देन इस समस्या का समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।


बताया जा रहा है कि एनपीसीआई यूपीआई पर क्रेडिट लाइन वाले लेन-देन पर लगभग 1.5% इंटरचेंज शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। यह फिनटेक कंपनियों के लिए स्थायी आय मॉडल का रास्ता खोलेगा। देखा जाये तो उपभोक्ताओं के नज़रिए से यह बदलाव बेहद महत्त्वपूर्ण होगा। छोटे-मोटे ख़र्चों से लेकर बड़े उत्पादों की ख़रीदारी तक अब भुगतान को किस्तों में बदलना आसान हो जाएगा। जिन लोगों के पास पारंपरिक क्रेडिट कार्ड नहीं हैं, वे भी अब ‘चेकआउट फाइनेंसिंग’ का लाभ उठा पाएँगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपीआई अब सिर्फ़ भुगतान का माध्यम नहीं रह गया है, यह एक संपूर्ण भुगतान प्रणाली बन रहा है। जैसे कार्ड इकोसिस्टम में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और ईएमआई की पूरी श्रंखला होती है, वैसे ही यूपीआई भी पूरी क्रेडिट सुइट तैयार कर रहा है। यह सुविधा उपभोक्ता की ख़रीद क्षमता को बढ़ाएगी और छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े खुदरा विक्रेताओं तक सभी को लाभ होगा।


हालाँकि इस सुविधा के साथ कई प्रश्न भी खड़े होते हैं। एक ओर यह छोटे मूल्य के क्रेडिट और बाय-नाउ-पे-लेटर जैसे विकल्पों को यूपीआई पर लाएगा, दूसरी ओर ऋण चूक (डिफॉल्ट) का जोखिम भी बढ़ेगा। छोटे खुदरा उपभोक्ता क्रेडिट में ऋण की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना बैंकों के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसलिए ऋणदाता इस मॉडल को बेहद सावधानी से बढ़ाएँगे। देखा जाये तो क्रेडिट की इस नई दुनिया में उपभोक्ता की वित्तीय अनुशासन क्षमता की भी परीक्षा होगी। बिना सोचे-समझे ईएमआई विकल्प का प्रयोग दीर्घकालिक बोझ बन सकता है। ऐसे में पारदर्शी शर्तें, ब्याज दरों की स्पष्ट जानकारी और वित्तीय साक्षरता आवश्यक होगी।


देखा जाये तो यूपीआई आज केवल एक ऐप या भुगतान माध्यम नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ईएमआई सुविधा जुड़ने के बाद यह और व्यापक रूप ले लेगा। उपभोक्ता को अधिक लचीलापन मिलेगा, कारोबारियों को बिक्री बढ़ाने का अवसर और फिनटेक कंपनियों को नया राजस्व स्रोत। फिर भी, यह क्रांति तभी स्थायी और सकारात्मक परिणाम देगी जब उपभोक्ता जिम्मेदार तरीके से क्रेडिट का प्रयोग करेंगे और बैंक–फिनटेक मिलकर पारदर्शिता व अनुशासन सुनिश्चित करेंगे। अगर यह संतुलन बना रहा, तो यूपीआई न केवल डिजिटल भुगतान बल्कि डिजिटल क्रेडिट के क्षेत्र में भी भारत को वैश्विक नेतृत्व दिला सकता है।

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