Prabhasakshi Newsroom। श्रीलंका के हालात बदतर, राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन, एक महीने में 45 % गिरी करंसी

By अनुराग गुप्ता | Apr 01, 2022

श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। इसी बीच प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास के बाहर प्रदर्शन किया और उनके इस्तीफे की मांग की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के बाहर से खदेड़ने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वाटन कैनन का इस्तेमाल किया। 

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श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसी आवश्यक चीजों की कमी हो गई है। रसोई गैस की भी कमी हो गई है और बिजली कटौती दिन में 13 घंटे तक की जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राजपक्षे सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है।

स्ट्रीट लाइट भी हो गईं बंद

श्रीलंका में आर्थिक संकट इतना ज्यादा गहराता जा रहा है कि बिजली बचाने के लिए स्ट्रीट लाइट तक को बंद रखना पड़ रहा है। बिजली मंत्री पवित्रा वनियाराची ने बताया कि स्टेट पावर मोनोपोली ने भी 13 घंटे बिजली कटौती लागू की है क्योंकि उनके पास जनरेटर के लिए डीजल ही नहीं है। इतना ही नहीं बिजली मंत्री ने अधिकारियों से बिजली बचाने की अपील भी की है।

श्रीलंका के हालात ऐसे हैं कि दो लोगों की मिट्टी का तेल और पेट्रोल के लिए कतार में खड़े-खड़े मौत हो गई। जिसकी वजह से लोगों का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया। ऑटोरिक्शा चालकों का समूह भी सरकार की लगातार आलोचना कर रहा है क्योंकि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी ठप पड़ने लगी है। किराया बढ़ गया है और सवारियां मिल नहीं रही हैं। पैसा बचाने के लिए श्रीलंकाई लोग पैदल यात्रा करने तक के लिए मजबूर हो गए हैं।

श्रीलंका में डीजल, मिट्टी का तेल और पेट्रोल की ही बस कमी नहीं है बल्कि खाद्य पदार्थ और दवाओं की भी कमी देखी जा रही है। जिसकी वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका की करंसी में लगातार गिरावट देखी जा रही है। एक महीने में 45 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। 

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मदद के लिए आगे आया भारत

पड़ोसी मुल्क श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत ने करीब डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीन दिवसीय श्रीलंका दौरे पर पड़ोसी मुल्क को निरंतर सहयोग का आश्वसन दिया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी क्षेत्रीय सुरक्षा को अधिक प्राथमिकता देना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है और एकता तथा सहयोग समय की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब समय है कि बंगाल की खाड़ी को संपर्क का सेतु बनायें, समृद्धि का सेतु बनायें और सुरक्षा का सेतु बनायें। आपको बता दें कि बिम्सटेक में भारत और श्रीलंका के अलावा बांग्लादेश, म्यामार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। इस संगठन के देशों की कुल आबादी विश्व की जनसंख्या की 21.7 फीसदी है, जबकि इनकी कुल जीडीपी 3.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।

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