By नीरज कुमार दुबे | Oct 04, 2025
भारतीय सेना और वायुसेना प्रमुख के ताजा बयानों ने पाकिस्तान और उसके आकाओं को स्पष्ट संकेत दे दिया है— भारत अब पुराने संयम और धैर्य के खोल में कैद रहने वाला देश नहीं रहा। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया है कि नई दिल्ली के पास न केवल निर्णायक सैन्य क्षमता है, बल्कि उसे इस्तेमाल करने का संकल्प भी है। यही संकल्प हमारे सेनाध्यक्ष और वायुसेना प्रमुख की वाणी में गूंजता दिखाई देता है।
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राजस्थान के अनूपगढ़ मोर्चे से पाकिस्तान को दो-टूक चेतावनी दी कि अगर राज्य प्रायोजित आतंकवाद जारी रहा तो इस्लामाबाद को “विश्व मानचित्र पर अपनी जगह पर पुनर्विचार करना होगा।” यह बयान महज शब्दों का खेल नहीं, बल्कि उस भारत का प्रतिबिंब है जो अपने सैनिकों और नागरिकों पर हमले का जवाब चुपचाप सहन करने को अब तैयार नहीं।
देखा जाये तो ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव ने भारत की रणनीति को और तेज़ कर दिया है। सेना प्रमुख ने साफ़ कहा कि पिछली बार दिखाया गया संयम अब नहीं दोहराया जाएगा। संदेश सीधा है— भारत अब अपनी रक्षा नहीं, बल्कि दुश्मन की आक्रामकता को जड़ से मिटाने की रणनीति अपनाएगा। सैनिकों को लगातार सतर्क रहने और “पूरी तरह तैयार” रहने का आदेश भी यही दिखाता है कि सीमा पार हर हरकत का जवाब अब उसी भाषा में मिलेगा।
दूसरी ओर, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने पाकिस्तान की “मनोरंजनक कहानियों” को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। F-16 और JF-17 जैसे लड़ाकू विमानों, विशेष मिशन विमानों और महत्वपूर्ण एयरबेस को भारतीय हमलों ने तबाह कर दिया। 300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर S-400 द्वारा मार गिराया गया दुश्मन का विशेष विमान भारत की तकनीकी श्रेष्ठता का साक्षात प्रमाण है।
देखा जाये तो पाकिस्तान के लिए यह संदेश जितना गहरा है, उतना ही अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए भी स्पष्ट है। विश्व ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को न केवल स्वीकार किया है बल्कि खुले तौर पर समर्थन भी किया है। यह वही वैश्विक माहौल है जिसने भारतीय नेतृत्व को और निर्भीक बना दिया है।
आज भारत का आत्मविश्वास केवल हथियारों की नोक पर नहीं, बल्कि नैतिक बल और सामरिक स्पष्टता पर टिका है। आतंकवाद को मिटाने का भारत का अधिकार अब विवाद का विषय नहीं रहा। सवाल सिर्फ यह है कि पाकिस्तान कब तक झूठ और इंकार की आड़ में अपनी नाकामियों को छिपाता रहेगा।
इतिहास गवाह है कि 1965 और 1971 के युद्धों में आम नागरिकों ने भी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाया था। सेनाध्यक्ष ने उस परंपरा को याद दिलाकर साफ़ कर दिया है कि आने वाली जंग, अगर पाकिस्तान ने विवेक नहीं दिखाया, तो केवल सेनाओं की नहीं होगी, यह राष्ट्र की सामूहिक चेतना और सामर्थ्य की जंग होगी।
देखा जाये तो आज भारतीय सेना और वायुसेना न केवल तकनीकी आधुनिकीकरण, बल्कि रणनीतिक सोच में भी नए युग में प्रवेश कर चुकी हैं। ड्रोन से लेकर मिसाइल डिफेंस तक, हर स्तर पर भारत की तैयारी यह बताती है कि दुश्मन की हर चाल का जवाब कहीं अधिक ताकतवर और घातक होगा।
पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत बदल चुका है। यह नया भारत संयम और प्रतीक्षा का नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है। और जब कोई राष्ट्र अपने सैनिकों, तकनीक और नैतिक बल—तीनों में इतना आत्मविश्वासी हो जाए, तो उसे रोकना असंभव हो जाता है। पाकिस्तान चाहे जितनी “कहानियाँ” सुनाए, सच्चाई यही है कि भारत अब न केवल तैयार है, बल्कि हर आक्रामकता का हिसाब लेने को तत्पर भी है।
-नीरज कुमार दुबे